दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को एक जासूसी रैकेट का पर्दाफाश किया। इंडियन एक्सप्रेस को जानकारी मिली की पुलिस उस रैकेट के पीछे पिछले 6 महीनों से लगी हुई थी। उस गिरोह पर बॉर्डर पर तैनात भारतीय सुरक्षा बल से जुड़ी सीक्रेट जानकारी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) तक पहुंचाने का आरको है। इस गिरोह में पुलिस ने कुल चार लोगों को पूछताछ के लिए पकड़ा था। पुलिस ने गुरुवार (27 अक्टूबर) को 35 साल के महमूद अख्तर नाम के शख्स को पूछताछ के लिए पकड़ा। उसके साथ 50 साल के रमजान खान और 35 साल के सुभाष जांगीर को भी पकड़ा गया। तीनों को दिल्ली के चिड़िया घर के पास से पकड़ा गया था। पकड़े जाने पर अख्तर के पास ‘फर्जी’ आधारकार्ड भी मिला था। लेकिन उसने अपने राजनयिक होने के कुछ दस्तावेज दिखाए जिसके बाद उसे छोड़ दिया गया। बाद में पता लगा कि महमूद अख्तर नाम का यह अधिकारी उच्चायोग के वीजा विभाग में काम करता था। पुलिस के मुताबिक, वह सेना और रक्षा विभाग की खुफिया जानकारी पाकिस्तान की एजेंसी आईएसआई को देता था। पुलिस ने राजनयिक छूट होने की वजह से अख्तर को रिहा कर दिया गया है, मगर सरकार ने उसे भारत छोड़ देने को कहा। ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर, क्राइम ब्रांच आरएस यादव ने अख्तर के बारे में कई खुलासे किए हैं। उन्होंने बताया कि अख्तर ने खुद के चांदनी चौक का निवासी होने का दावा किया, मगर सख्ती से पूछताछ के बाद उसने कबूल लिया कि उसका नाम महमूद अख्तर है। अख्तर ने खुद को भारतीय दिखाने के लिए आधार कार्ड तक बनवा रखा था।
वीडियो: जासूसी के आरोप में पकड़े गए पाकिस्तान उच्चायोग के अधिकारी को छोड़ा गया; पाकिस्तानी हाई कमिश्नर अब्दुल बासित तलब
पुलिस ने बताया था कि खान और जांगीर अख्तर द्वारा दिए गए निर्देषों को फॉलो करते थे। पुलिस ने यह भी बताया था कि दोनों लोग लगभग दो साल पहले अख्तर से मिले थे। दोनों को राजस्थान में रहने वाले शोएब नाम के प्राइवेट वीजा एजेंट ने अख्तर से मिलवाया था। उसने कहा था कि अख्तर काम के बदले उनको अच्छा पैसा देगा। पुलिस ने गुरुवार रात को ही शोएब को भी पकड़ लिया था।
Read Also: राजस्थान से पकड़ा गया तीसरा पाकिस्तानी जासूस शोएब, पूछताछ के लिए लाया गया दिल्ली
पूछताछ में अख्तर ने बताया कि वह जनवरी 2013 से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए प्रतिनियुक्ति पर है और पाकिस्तानी सेना की 40वीं बलूच रेजीमेंट का हवलदार है तथा रावलपिंडी के काहुटा गांव का रहने वाला है। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, ”चूंकि अख्तर वीजा विभाग में काम कर रहा था, इससे उसे ऐसे लोगों की पहचान करने में मदद मिल गई कि कौन लोग उसके लिए काम कर सकते हैं। जिन लोगों की आर्थिक स्थिति कमजोर थी, उन्हें बड़ी राशि देने का प्रलोभन दिया जाता था।’’
