Turkey And Azerbaijan Tourism: पाकिस्तान के साथ जरूरत से ज्यादा याराना संबंध रखना तुर्की को अब काफी भारी पड़ रहा है, हालात ऐसे बन चुके हैं कि उसका पर्यटन चौपट हो गया है। भारत के जो पर्यटक सबसे ज्यादा इस मौसम में तुर्की जाना पसंद करते हैं, अब उनकी तरफ से उसी तुर्की का बायकॉट कर दिया गया है। आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि पाकिस्तान के साथ की गई दोस्ती ने तुर्की की आर्थिक से लेकर सियासी ‘लंका’ लगा दी है।

तुर्की को नुकसान, फायदा किसका?

भारत की बात करें तो उसके पास तुर्की के अलावा भी कई दूसरे ऐसे मुल्क हैं जहां वो पर्यटन के लिहाज से जाता है। इस समय इंडोनेशिया, वेतनाम, कंबोडिया, इजिप्ट, अर्मेनिया ऐसे देश उभरकर सामने आए हैं जिन्हें तुर्की बहिष्कार का सीधा फायदा पहुंचा है। जो भारतीय टूरिस्ट पहले तुर्की जाने वाला था, उसका फोकस अब इन देशों की तरफ शिफ्ट हो चुका है। ऐसे में एक के नुकसान ने कई दूसरे देशों के लिए अवसर पैदा कर दिया है।

कुछ घंटों में कैसे पलट गया सारा खेल

वीजा प्लेटफॉर्म Atlys के मुताबिक पिछले 10 दिनों में तुर्की और अजरबैजान जैसे देशों के लिए वीजा एप्लीकेशन में भारी गिरावट देखने को मिली है। जब से पाकिस्तान को तुर्की और अजरबैजान का समर्थन मिला है, दोनों ही देशों के लिए अप्लाई की गईं वीजा एप्लीकेशन में 42 फीसदी की कमी देखी गई है। बड़ी बात यह है कि जैसे ही इन दोनों देशों ने पाकिस्तान का समर्थन किया, 36 घंटों के अंदर ऐसा माहौल बना कि जो लोग वीजा अप्लाई वाले प्रोसेस में काफी आगे बढ़ चुके थे, उन्होंने बीच में ही उसे छोड़ने का फैसला किया, यह आंकड़ा 60 फीसदी से ज्यादा बताया जा रहा है।

खतरे में कैसे आ जाएगी तुर्की की इकोनॉमी?

तुर्की में भारतीय पर्यटकों की कितनी कमी?

अगर इसी आंकड़े को और ज्यादा ध्यान से समझा जाए तो निष्कर्ष निकलता है कि जो लोग पूरे परिवार के साथ तुर्की जाने वाले थे, उनके ग्रुप वीजा में 49 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। वही जो कपल इन देशों में जाने की तैयारी कर रहे थे, वहां भी 27 प्रतिशत की निर्णायक गिरावट हुई है। अब इन देशों को हुए नुकसान का सीधा फायदा वेतनाम, इंडोनेशिया और इजिफ्ट जैसे देशों को हुआ है, यहां वीजा अप्लीकेशन में 31 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई है।

एक्सपर्ट क्या मानते हैं?

इस बदलते ट्रेंड के बारे में Nomad Travels के वाइस चेयरमेन अजय प्रकाश कहते हैं कि इस समय पूर्वी देश और यूएई को लेकर ज्यादा एप्लीकेशन आई हैं, लेकिन अगले कुछ महीने क्योंकि ज्यादा गर्मी के होंगे, तो उसका रोल भी रहने वाला है। Schengen states के लिए यह अच्छा मौका है जब वे अपने वीजा प्रक्रिया को और बेहतर बनाए जिससे भारत के ज्यादा से ज्यादा टूरिस्ट यहां पहुंचे।

पिछले साल तुर्की का क्या था हाल?

STIC Travel Group के चेयरमेन सुभाष गोयल भी मानते हैं कि लोग ऐसे देशों में अब ज्यादा ट्रैवल करना चाहते हैं जिनके रिश्ते भारत के साथ बेहतर हैं, इसी वजह से इजिप्ट और जॉर्डन जैसे देश अब तुर्की को रिप्लेस कर रहे हैं और लोग अजरबैजान की जगह अर्मेनिया और जॉर्जिया जाना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। यहां पर समझने वाली बात यह भी है कि पिछले साल तुर्की में 3 लाख भारतीय पर्यटक गए थे, वो आंकड़ा अब काफी सिमट जाएगा। इसी तरह पिछले साल अजरबैजान में 2.44 लाख पर्यटक पहुंचे थे, उनकी संख्या भी अब सेंट्रल एशिया के दूसरे देशों की तरफ शिफ्ट कर जाएगी।

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