जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों के खत्म करने के बाद जब पाक अधिकृत कश्मीर की बात हो रही है तो शायद पहली बार पीओके स्थित ऐतिहासिक स्थलों की बात भी उठी है। राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण ने दिल्ली में पाक अधिकृत कश्मीर में मुगलों, डोगरा और सिख शासकों द्वारा बनाए गए ऐतिहासिक स्मारकों जिनमें किले, मस्जिदें और अन्य धार्मिक स्थल शामिल हैं, कि 28 तस्वीरें प्रदर्शित की हैं।

‘पाक अधिकृत कश्मीर में सांस्कृतिक विरासत स्थल’ शीर्षक के तहत बाघ, भीमबर, हवेली, कोटली, मीरपुर, मुजफ्फराबाद, नीलम घाटी और सुधनोटी को शामिल किया गया है। हालांकि, भारत के पास पाक अधिकृत कश्मीर में ऐसी सांस्कृतिक धरोहर स्थलों की पूरी सूची नहीं है। इसका कारण भारत की वहां तक सीमित पहुंच है। पाकिस्तानी पुरातत्वविदों की टीम के साल 2014 में किए गए एक सर्वे के अनुसार पाक अधिकृत कश्मीर में करीब 100 पुरातत्व स्थल मौजूद हैं।

भारत के पास जो सूची है वह आजादी से पहले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और विभिन्न धार्मिक संस्थाओं और कुछ किताब व जर्नल में वर्णित सूचनाओं पर आधारित है। पीओके स्थित विरासत स्थलों में करगाह बुद्ध भी एक है। गिलगित में करगाह नाला की चोटी पर स्थित यह सातवीं शताब्दी की ऐतिहासिक धरोहर है।

इन स्थलों में अली बाग गुरुद्वारा भी है। पाकिस्तानी पुरातत्वविदों की साल 2014 की स्टडी के अनुसार अलीबेग गांव स्थित यह गुरुद्वारा अब मुहम्मद यकूब शहीद हाई स्कूल फॉर गर्ल्स के रूप में तब्दील हो चुका है। भीमबर तहसील में मीरपुर-झेलम लिंक रोड के उत्तरपूर्व की तरफ स्थित यह तीन मंजिला इमारत तीन साल के शरणार्थी शिविर के रूप में भी प्रयोग में लाई जा चुकी है। खुइरत्ता का फव्वारा और बगीचा पीओके के कोटली में स्थित है।

यह जगह नियंत्रण रेखा से महज 7 किलोमीटर दूर है। खुइरत्ता स्थानीय पर्यटकों में काफी लोकप्रिय है। कोटली और आसपास के लोग यहां लगने वाले मेले में खेल, जानवरों की परेड देखने पहुंचते हैं। इस क्षेत्र में कई झरने और प्रपात हैं। माना जाता है कि प्राचीन समय में यह हिंदुओं का प्रसिद्ध स्थल था।