भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में जो सीजफायर पर सहमति बनी है, वह फिलहाल एक अस्थायी राहत के रूप में देखी जा रही है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान पर ज्यादा भरोसा नहीं किया जा सकता और वह किसी भी वक्त फिर से आतंकी हरकतें शुरू कर सकता है। हाल के दिनों में भारत की ओर से सख्त जवाबी कार्रवाई और सीमा पर पाकिस्तानी ड्रोन की गतिविधियों को लेकर माहौल बेहद तनावपूर्ण रहा। खासकर जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम इलाके में आतंकी हमला हुआ, तो भारत ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कड़ी कार्रवाई की। इसके बावजूद पाकिस्तान की ओर से ड्रोन घुसपैठ की घटनाएं सामने आईं, जिन्हें भारतीय सेना ने समय रहते मार गिराया। मगर इन घटनाओं ने साफ कर दिया कि पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा।
सीजफायर पाकिस्तान की एक रणनीतिक चाल है
इस बीच 10 मई को एक अहम घटनाक्रम तब सामने आया जब पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत के डीजीएमओ को फोन करके सीजफायर की अपील की। भारत ने इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए फिलहाल हमलों पर विराम लगा दिया है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम एक रणनीतिक चाल भी हो सकता है, जिससे पाकिस्तान कुछ वक्त के लिए खुद को फिर से तैयार कर सके।
रक्षा मामलों के विशेषज्ञ प्रफुल बख्शी का कहना है कि यह सीजफायर स्थायी नहीं है, बल्कि एक ‘अस्थायी शांति’ की स्थिति है। उनके मुताबिक दोनों देशों के डीजीएमओ मिलकर आगे की रणनीति तय करेंगे। उन्होंने यह भी इशारा किया कि चीन भी इस पूरे घटनाक्रम में पर्दे के पीछे सक्रिय भूमिका निभा रहा है। बख्शी के मुताबिक, “चीन अब जान गया है कि पाकिस्तान को किस तरह इस्तेमाल किया जा सकता है और पाकिस्तान भी उसी के इशारे पर काम कर रहा है।”
विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि पाकिस्तान को इस विराम के दौरान अपनी रणनीति को फिर से मजबूत करने का मौका मिलेगा। साथ ही यह सीजफायर उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुद को “शांति की तरफ बढ़ने वाला देश” दिखाने का अवसर भी देगा, जबकि उसकी असल नीयत कुछ और हो सकती है।
फिलहाल भले ही गोलियों की आवाज कुछ देर के लिए थम गई हो, लेकिन जमीन पर खतरा बना हुआ है। भारत की सुरक्षा एजेंसियां चौकस हैं और सीमा पर निगरानी बढ़ा दी गई है।
कुल मिलाकर, यह एक ऐसा दौर है जहां सतर्कता ही सबसे बड़ी सुरक्षा है। क्योंकि पाकिस्तान की नीति हमेशा से भरोसे के बजाय चालबाजी पर आधारित रही है, और इस बार भी कोई अपवाद नहीं लगता।