भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान इस वक्त पाकिस्तान के कब्जे में हैं। हालांकि, जानकार मानते हैं कि वह बेहद लकी हैं कि पाकिस्तान ने यह बात सार्वजनिक तौर पर कबूल कर ली है। इसकी वजह यह है कि पूर्व में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जब दुश्मन के चंगुल में फंसे भारतीय सैनिकों को न केवल बुरी तरह टॉर्चर किया गया, बल्कि उन्हें मार भी डाला गया। पाकिस्तान की बर्बरता के दो बड़े उदाहरण स्क्वैड्रन लीडर अजय आहूजा और कैप्टन सौरभ कालिया हैं। 1999 की करगिल की जंग के दौरान इन दोनों को ही पाकिस्तानी बर्बरता का शिकार होना पड़ा।

अभिनंदन की तरह ही आहूजा भी मिग 21 प्लेन उड़ा रहे थे। 27 मई 1999 को हुए संघर्ष के दौरान आहूजा के प्लेन को जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल से निशाना बनाया गया। दरअसल, आहूजा फ्लाइट लेफ्टिनेंट के नचिकेता के लापता मिग 27 विमान को तलाश रहे थे। मिसाइल से हमले के बाद आहूजा ने प्लेन से खुद को अलग कर लिया था। पाकिस्तान ने बाद में आहूजा का शव लौटाया। शव पर नजदीक से मारी गई गोली के निशान थे। इससे संकेत मिलते थे कि उन्हें जिंदा पकड़ा गया और बाद में गोली मार दी गई। आहूजा को मरणोपरांत 15 अगस्त 1999 को वीर चक्र से सम्मानित किया गया। संयोग से वर्तमान एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ उस 17वें स्क्वैड्रन के कमांडिंग ऑफिसर रहे हैं, जिसमें 1999 के संघर्ष के दौरान आहूजा फ्लाइट कमांडर थे।

वहीं, 26 साल के नचिकेता को पाकिस्तानी आर्मी ने बंदी बनाया था। उनको टॉर्चर किया गया और पाकिस्तान टीवी पर उनकी नुमाइश भी की गई। बाद में उन्हें इंटरनैशनल कमिटी ऑफ रेड क्रॉस को सौंप दिया गया। नचिकेता ने करीब साल भर पहले एयरफोर्स से समयपूर्व रिटायरमेंट ले लिया। 22 साल के कालिया की बात करें तो 4 जाट रेजिमेंट में कमीशन मिलने के तुरंत बाद वह कारगिल में तैनात किए गए थे। मई 1999 में कैप्टन कालिया 5 अन्य जवानों के साथ कारगिल के काकसर इलाके में गश्त पर निकले थे।

एलओसी पर भारतीय सीमा के अंदर रहने के बावजूद पाकिस्तानी आर्मी के घुसपैठियों ने उन्हें पकड़ लिया। कालिया को 22 दिन तक बंदी बनाकर रखा गया। कालिया को बुरी यातनाएं देकर मारा गया। उनके शव पर बर्बरता के साफ निशान थे। उनके कई अंग काट दिए गए थे। आंखो को नुकसान पहुंचाया, यहां तक कि शरीर पर सिगरेट से जलाने के निशान थे। 9 जून 1999 को पाकिस्तानी आर्मी ने कालिया का शव सौंपा था।