Pahalgam Terror Attack Update: पहलगाम में हुए आतंकी हमलों के हमलावरों को सुरक्षाबलों ने कम से कम चार बार ढूंढा। इतना ही नहीं साउथ कश्मीर के जंगलों में उन्हें घेरने के बहुत ही ज्यादा करीब पहुंच गए थे और एक बार तो गोलीबारी भी हुई थी। इस बात की जानकारी इंडियन एक्सप्रेस को मिली है। स्थानीय लोगों से मिली जानकारी, इंटेलिजेंस इनपुट और सर्च ऑपरेशन के जरिये आतंकियों का पता लगाया गया है।
सेना के एक अधिकारी ने कहा, ‘यह बिल्ली और चूहे का खेल है। कई बार ऐसा हुआ है कि उन्हें साफ तौर पर देखा गया है। लेकिन जब तक उनसे निपटा जा सकता था, वे भाग चुके थे। जंगल बहुत घने हैं और किसी को सही से देखने के बाद भी उसका पीछा करना आसान नहीं है। लेकिन हमें यकीन है कि हम उन्हें पकड़ लेंगे, यह सिर्फ कुछ दिनों की बात है।’
सेना पहलगाम के आसपास के जगलों में कर रही घेराबंदी
सेना, सीएपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ मिलकर पहलगाम के आसपास के जंगलों में घेराबंदी और सर्च ऑपरेशन चला रही है ताकि चार आतंकियों को पकड़ा जा सके। इनमें से दो पाकिस्तानी आतंकी भी हैं। सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि आतंकियों को पहले अनंतनाग के पहलगाम तहसील के हापत नार गांव के पास जंगलों में देखा गया था, लेकिन वे घने इलाके का फायदा उठाकर भागने में सफल रहे। सूत्रों ने बताया कि बाद में आतंकियों को कुलगाम के जंगलों में देखा गया जहां से भागने से पहले उनकी सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ हुई।
इन सभी को त्राल पर्वतमाला और उसके बाद कोकेरनाग में देखा गया। एक अधिकारी ने कहा, ‘आम तौर पर आतंकवादियों को खाने की व्यवस्था करनी पड़ती है और तभी वे गांवों में पहुंचते हैं। कभी-कभी वे जंगलों में खाने की आपूर्ति के लिए अपने स्थानीय संपर्कों को बुला लेते हैं। इससे ह्यूमन इंटेलिजेंस की जानकारी मिलती है और सुरक्षा बलों को उन्हें घेरने का मौका मिल जाता है। हालांकि, ये आतंकी काफी सावधानी से काम कर रहे हैं।’
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घने जंगलों में निपटना मुश्किल
अधिकारी ने यह भी बताया, ‘हमें एक घटना के बारे में पता चला है, जहां वे रात के खाने के समय एक गांव में गए, एक घर में घुसे और खाना लेकर भाग गए। जब तक सुरक्षा बलों को सूचना मिली और वे वहां पहुंचे, तब तक काफी समय बीत चुका था और आतंकवादी भाग चुके थे।’ सूत्रों ने बताया कि एक और चुनौती यह है कि किश्तवाड़ रेंज में इस मौसम में कम बर्फबारी हुई है। अधिकारी ने कहा, ‘इससे आतंकियों को रेंज का इस्तेमाल करके जम्मू की तरफ जाने का विकल्प मिल जाता है, जहां जंगल घने हो सकते हैं और इलाके से निपटना मुश्किल हो सकता है। वे इधर-उधर जाने के लिए किश्तवाड़ रेंज का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन अभी तक हमारा मानना है कि वे अभी भी दक्षिण कश्मीर में हैं।’
अधिकारी ने कहा, ‘समस्या यह है कि कश्मीर की तरफ एक फ्रंट डोर है और जम्मू की तरफ एक बैक डोर है। हाल ही में, विदेशी आतंकी घुसपैठ और संचालन के लिए जम्मू की तरफ का इस्तेमाल तेजी से कर रहे हैं। हमारी काउंटर इंफिलट्रेशन ग्रिड उस तरफ उतनी मजबूत नहीं है जितनी उत्तरी कश्मीर में है।’ सुरक्षा बलों को उम्मीद है कि आतंकी आखिरकार गलती करेंगे और उन्हें मार गिराया जाएगा। उदाहरण के लिए सूत्रों ने बताया कि आतंकी बैसरन में मारे गए टूरिस्टों के दो फोन ले गए।
जम्मू-कश्मीर पुलिस कर रही जांच
जम्मू-कश्मीर पुलिस अपनी ओर से साउथ कश्मीर में आतंकी संगठनों के संदिग्ध कार्यकर्ताओं से पूछताछ कर रही है ताकि सुराग मिल सके और यह पता लगाया जा सके कि हमले में और लोग शामिल थे या नहीं। जांच इस बात पर भी केंद्रित है कि हमले की योजना बनाने और उसे अंजाम देने में आतंकियों को किस तरह की रसद सहायता मिली होगी। ‘भारत छोड़ो’ नोटिस की डेडलाइन खत्म, पहलगाम अटैक के बाद 272 पाक नागरिक वापस भेजे गए