देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम पर प्रकाशित एक लेख को लेकर आउटलुक मैगजीन (Outlook Magazine) को माफी मांगनी पड़ी। दरअसल, आउटलुक ने उमर अहमद (Omair Ahmad) का ‘The Burden of an Unheroic Hero’ नाम से एक लेख प्रकाशित किया था। इस लेख में कहा गया था कि डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने भले ही तमाम उपलब्धियां हासिल की हों, लेकिन वे हीरो तो कतई नहीं थे। सिर्फ और सिर्फ अपने राजनीतिक आकाओं के आदेशों का पालन कर रहे थे।
उमर अहमद (Omair Ahmad) ने अपने लेख में लिखा था कि, ‘एपीजे अब्दुल कलाम न तो सफदर हाशमी थे, जिनकी साल 1989 में एक नाटक के मंचन के दौरान हत्या कर दी गई थी और न ही शेर अली थे। आखिर ऐसा क्यों है कि वे तमाम मुसलमान, जिन्होंने सरकारों की नींव हिलाई और अपनी जान कुर्बान की, मुस्लिमों के हीरो नहीं माने जाते हैं? आखिर राइट विंग के लोग बहु प्रचारित ‘मिसाइल मैन ऑफ इंडिया’ को ही क्यों मुस्लिमों के बीच से निकला हीरो मानते हैं?’।
‘अब्दुल कलाम की कहानी एक बोझ है’: उमर अहमद (Omair Ahmad) ने अपने आर्टिकल में लिखा है कि, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जो कहानी बताई जाती है, वह एक बोझ है, जिसे जबरन लोगों के कंधों पर डाल दिया गया है। वे कोई हीरो नहीं हैं, बल्कि जो असली हीरो हैं, उनके उभार में एक रोड़ा हैं’। Outlook में प्रकाशित इस लेख को तमाम लोगों ने आपत्तिजनक बताया और ट्विटर पर मैग्जीन के संपादक को टैग करते हुए अपनी नाराजगी जताई।
Contrarian views are fine but it cannot become derogatory or personal. We at @Outlookindia did fail in our duty for which we sincerely apologise. pic.twitter.com/v8M8hWsaWn
— Ruben Banerjee (@Rubenbanerjee) February 12, 2020
वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ जराबी ने इस लेख पर नाराजगी जताते हुए ट्वीट किया, ‘इस लेख में उमर अहमद पूछ रहे हैं कि कलाम सिर्फ राइट विंग के हीरो क्यों हैं?…और भी बहुत कुछ, जैसे कलाम की कहानी एक बोझ है…’। वहीं, वरिष्ठ पत्रकार आदित्य राज कौल ने भी इस लेख पर नाराजगी जताते हुए निशाना साधा। उन्होंने Tweet किया, ‘उमर अहमद को कुछ समझ में नहीं आ रहा है। वे न सिर्फ एक बेहद सम्मानित भारतीय मुसलमान पर टिप्पणी कर रहे हैं, बल्कि एक ऐसे राष्ट्रपति पर भी टिप्पणी कर रहे हैं, जिसने इस देश को बहुत कुछ दिया है। उमर जैसे लोग कलाम को हीरो बताना बर्दाश्त ही नहीं कर सकते हैं’।
From @Outlookindia.
Author @OmairTAhmad asks if APJ Abdul Kalam was a “right wing hero” because “he gave a great phallic symbol to the nation or that he refused to use his own”.
And more…”why were only our heroes non-violent?”
“The tale of APJ is only a weight, a burden” pic.twitter.com/A7cZtUIIo6
— Siddharth Zarabi (@szarabi) February 12, 2020
संपादक ने कहा- हम फेल हुए, मांगी माफी: सोशल मीडिया पर इस लेख को लेकर की जा रही खिंचाई के बीच आउटलुक के एडिटर इन चीफ रुबिन बैनर्जी ने माफी मांगते हुए लिखा कि, ‘हमने उमर अहमद (Omair Ahmad) का ‘The Burden of an Unheroic Hero’ नाम से एक लेख प्रकाशित किया था। इस लेख में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के बारे में कुछ ‘ओछी’ बातें छपीं। ऐसा नहीं होना चाहिए था। हमारी गेट कीपिंग फेल रही। हम इसके लिए माफी मांगते हैं’।