राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को देश के नाम अपना आखिरी संबोधन किया। हालिया राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हराया था और वह देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेंगी। अपने आखिरी संबोधन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भारत की ‘जीवंत लोकतांत्रिक व्यवस्था की शक्ति’ को सलाम किया।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद छोड़ने की पूर्व संध्या पर कहा, “5 साल पहले मैं आपके चुने हुए जनप्रतिनिधियों के माध्यम से राष्ट्रपति चुना गया था। राष्ट्रपति के रूप में मेरा कार्यकाल आज समाप्त हो रहा है। मैं आप सभी और आपके जन प्रतिनिधियों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करना चाहता हूं।” उन्होंने कहा, “अपनी जड़ों से जुड़े रहना भारतीय संस्कृति की विशेषता है। मैं युवा पीढ़ी से यह अनुरोध करूंगा कि अपने गांव या नगर, अपने विद्यालयों और शिक्षकों से जुड़े रहने की इस परंपरा को आगे बढ़ाते रहें।”
उन्होंने कहा, “कानपुर देहात जिले के परौंख गांव में एक बेहद साधारण परिवार से आने वाले राम नाथ कोविंद आज आप सभी देशवासियों को संबोधित कर रहे हैं। इसके लिए मैं देश की जीवंत लोकतांत्रिक व्यवस्था की ताकत को सलाम करता हूं। हमारे पूर्वजों और हमारे आधुनिक राष्ट्र-निर्माताओं ने अपने कठिन परिश्रम और सेवा भावना के द्वारा न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के आदर्शों को चरितार्थ किया था। हमें केवल उनके पदचिह्नों पर चलना है और आगे बढ़ते रहना है।”
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने आखिरी संबोधन में कहा, “अपने कार्यकाल के पांच वर्षों के दौरान, मैंने अपनी पूरी योग्यता से अपने दायित्वों का निर्वहन किया है। मैं डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, डॉक्टर एस. राधाकृष्णन और डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम जैसी महान विभूतियों का उत्तराधिकारी होने के नाते बहुत सचेत रहा हूं।”
निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देशवासियों से भावी पीढ़ियों के लिए पर्यावरण संरक्षण का आह्वान करते हुए रविवार को कहा कि प्रकृति मां गहरी पीड़ा में है और जलवायु संकट इस ग्रह के भविष्य को खतरे में डाल सकता है। राष्ट्रपति ने कहा, “महामारी ने सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे में और सुधार की आवश्यकता को रेखांकित किया है। मुझे खुशी है कि सरकार ने इस कार्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।”
राष्ट्रपति ने राष्ट्र के नायकों को किया याद
राष्ट्रपति ने कहा, “तिलक और गोखले से लेकर भगत सिंह और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस तक; जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल और श्यामा प्रसाद मुखर्जी से लेकर सरोजिनी नायडू और कमलादेवी चट्टोपाध्याय तक – ऐसी अनेक विभूतियों का केवल एक ही लक्ष्य के लिए तत्पर होना, मानवता के इतिहास में अन्यत्र नहीं देखा गया है।”
सोमवार को शपथ लेंगी द्रौपदी मुर्मू
बता दें कि द्रौपदी मुर्मू सोमवार को संसद के सेंट्रल हॉल में शपथ लेंगी। राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को 64.03 फीसदी वोट मिले थे जबकि यशवंत सिन्हा को करीब 36 फीसदी वोट मिले थे। द्रौपदी मुर्मू को 6,76,803 वोट वैल्यू के साथ वोट शेयर 64.03 प्रतिशत रहा था। जबकि, यशवंत सिन्हा को मिलने वाले वोटों की वैल्यू 3,80,177 रही।