एक शख्स ने मर्डर के एक मामले में जेल में अपनी जिंदगी के बेशकीमती 21 साल गंवा दिए। मामले की सुनवाई के बाद ओडिशा हाईकोर्ट ने आरोपी व्यक्ति को बेगुनाह साबित करते हुए उसे रिहा करने का आदेश सुनाया। मामला ओडिशा के गंजम जिले का है।

यहां के कंटापाड़ा गांव के रहने वाले साधु प्रधान को अदालत ने हत्या के एक मामले में जेल से तुरंत रिहा करने के आदेश दिए। साधु प्रधान को एक महिला की हत्या के मामले में नवंबर 1997 में गिरफ्तार किया गया था। मामले की सुनवाई के बाद जिला अदालत ने उसे अगस्त 1999 में आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी।

निचली अदालत के फैसले के खिलाफ उसकी एक याचिका हाईकोर्ट में जस्टिस एस के मिश्रा और ए के मिश्रा की अदालत में लंबित थी। हाईकोर्ट ने इस साल जुलाई में इस मामले में सुनवाई पूरी की। सोमवार को दिए अपने फैसले में पीठ ने प्रधान को बरी कर दिया।

हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि निचली अदालत ने सबूतों को उचित परिदृश्य में नहीं देखा। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष हत्या के पीछे के मकसद का पता लगाने में नाकाम रहा। ऐसे में आरोपी को जेल से बरी करने का आदेश सुनाया जाता है।

इससे पहले हाईकोर्ट ने तर्क दिया कि निचली अदालत ने साधु प्रधान को सजा सुनाने के मामले में बच्चे की गवाही को आधार बनाया गया था।अदालत ने इस मामले में बेरहामपुर सेकंड क्लास एडिशनल डिस्ट्रिक जज कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया। खबरों के अनुसार कंटेपाड़ा गांव की ही रहने वाली महिला धोबनी खटुआ का शव 25 अक्तूबर 1997 को तालाब से बरामद हुआ था।

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महिला के गोल्ड जूलरी कथित रूप से उसके पास से गायब थी। पुलिस ने जांच के बाद महिला की हत्या के मामले में साधु प्रधान क 5 नवंबर 1997 को गिरफ्तार किया गया था। बाद में निचली अदालत ने साधु पर से लूट की धाराएं हटा दीं। हालांकि, निचली अदालत ने साधु को बच्चे की गवाही के आधार पर महिला की हत्या का दोषी पाया था।