इंडियन काउंसिल आॅफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के अध्ययन के मुताबिक मुंह का कैंसर छह साल में 114 फीसद बढ़ गया है। भारतीय चिकित्सा शोध परिषद (आइसीएमआर) के नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च के मुताबिक, पिछले छह सालों में देश में कैंसर के कुल मामले 15.7 फीसद बढ़ गए हैं। इस साल देशभर में कैंसर के लगभग 11.5 लाख मामले दर्ज हुए जो 2012 के 10 लाख के मुकाबले करीब 16 फीसद अधिक हैं। भारत में मुंह का कैंसर फैलने में तंबाकू सबसे बड़े जोखिमों में से एक है। ग्लोबोकैन 2018 के आंकड़ों के मुताबिक, होंठ व मुंह के कैंसर से पीड़ित लोगों की संख्या साल 2012 के 56000 से बढ़कर 2018 में 119992 हो गई है। इसी के मद्देनजर क्लोव डेंटल देशभर में मुफ्त में ओरल हेल्थकेयर स्क्रीनिंग अभियान आयोजित कर रहा है, ताकि मुंह की स्वच्छता (ओरल हाइजीन) पर जागरूकता बढ़ाकर लोगों को इसके लिए प्रेरित किया जा सके। यह मुहिम दिसंबर के अंत तक चलेगी। क्लोव डेंटल के सीईओ अमरिंदर सिंह ने कहा कि देशभर के 287 क्लीनिकों में जांच होगी। स्क्रीनिंग में पांच से सात मिनट लगते हैं और यह लोगों को विभिन्न जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए है, जिन्हें केवल डेंटिस्ट ही पहचान सकते हैं।

दंतरोग विशेषज्ञ डॉ रोहित मिश्र ने बताया कि तंबाकू सेवन मुंह के कैंसर के लिए सबसे बड़ा जोखिम कारक है। इनमें सिगरेट, सिगार,पाइप और तंबाकू भी शामिल है। जो लोग बड़ी मात्रा में अल्कोहल का सेवन करते हैं, उनमें भी गर्दन और सिर के कैंसर का खतरा अधिक होता है। डॉ मिश्र ने बताया कि उनके क्लीनिक में रोजाना 200 से 250 मरीज आते हैं, जिनमें से चार-पांच मरीज मुंह के कैंसर के होते हैं। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मुंह के कैंसर के मरीज किस कदर बढ़ रहे हैं। वे बताते है कि इन मरीजों में बहुत कम उम्र के युवा भी हैं जबकि पहले यह ज्यादातर बुजर्गों में ही पाया जाता था। भारत में मुंह के कैंसर के मामले विश्व के एक तिहाई हैं।

डॉ रोहित बताते हैं कि जहां तंबाकू से कैंसर के सबूत मिले हैं वहीं सुपाड़ी से सबम्यूकस फाइब्रोसिस के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं जो आगे चलकर कैंसर में बदल जाते हैं। जागरूकता बढ़ने से फर्क पड़ रहा है क्योंकि मुंह के कैंसर का मामला पहले दूसरे स्थान पर था वहीं अब ये चौथे पायदान पर चला गया है। उन्होंने यह भी कहा कि कई बार लोग कैंसर के डर से तंंबाकू तो छोड़ देते हैं लेकिन सादा पान या सुपाड़ी खाना नहीं छोड़ते जबकि यह गलत धारणा है कि केवल तंबाकू से कैंसर होता है सुपाड़ी या सादे पान (तंबाकू रहित या मीठा पान) से नहीं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ केके अग्रवाल ने कहा कि तंबाकू के सेवन से ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस जैसे ओरल प्री कैंसरस लेजियंस विकसित हो सकते हैं, जिससे मुंह में कैंसर होने का खतरा बढ़ सकता है। इसके अलावा यह मुंह में अन्य संक्रमणों का जोखिम भी पैदा कर सकता है।

ऐसे हो सकती है रोकथाम
लंबे समय तक धूप में न रहें और लिप बाम का उपयोग करें।
जंक और प्रोसेस्ड फूड के सेवन से बचें।
ताजा फल और सब्जियों सहित स्वास्थ्यवर्धक भोजन करें।
निकोटीन गम्स, निकोटीन रीप्लेसमेंट थेरेपी अपनाएं।
धूम्रपान की तलब लगने पर कच्ची गाजर, अजवाइन, सूखे मेवे या फिर सूरजमुखी के बीज चबा लें।