नोटबंदी के मुद्दे पर अपना विरोध मुखर करते हुए एकजुट विपक्ष ने मंगलवार को तय किया कि वे इस मामले में बुधवार को संसद भवन के बाहर धरना देंगे। यह भी तय किया गया कि इस मुद्दे पर आने वाले दिनों में राष्ट्रपति से मिलेंगे और सड़कों पर प्रदर्शन करेंगे। नोटबंदी के मुद्दे पर नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अपने हमले जारी रखते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस मुद्दे पर जंतर-मंतर पर धरना देंगी। मंगलवार को उन्होंने विपक्षी राजनीतिक दलों से भी नोटबंदी के खिलाफ सड़कों पर उतरने की अपील की है। ममता ने दावा किया कि नोटबंदी से पैदा होने वाली दिक्कतों के चलते अब तक 68 लोगों की मौत हो चुकी है। दिल्ली पहुंचने से पहले कोलकाता में ममता ने कहा कि वे बुधवार दोपहर साढ़े बारह बजे जंतर-मंतर पर धरना देंगी। उन्होंने कहा कि आम लोगों के लिए परेशानी का सबब बने नोटबंदी के खिलाफ विपक्षी राजनीतिक दलों को भी सड़क पर उतर कर विरोध जताना चाहिए।
इस बीच विपक्ष की रणनीति तैयार करने के लिए बुलाई गई बैठक के बाद लोकसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, हम नोटबंदी के मुद्दे पर बुधवार को 9 बजकर 45 मिनट पर संसद भवन परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष धरना देंगे। उन्होंने कहा, बैठक में यह भी तय किया गया कि इस मुद्दे पर राष्ट्रपति से भी मुलाकात की जाएगी। लेकिन अभी तिथि तय नहीं की गई। हम एक-एक कदम उठाएंंगे। विपक्षी दलों ने यह तय किया कि मुख्य विषय नोटबंदी है, हालांकि बैंकों और एटीएम में कतार में खड़े लोगों की मौत, आम लोगों और किसानों की परेशानी, नोटबंदी की सूचना कथित तौर पर लीक करने जैसे मुद्दों को उठाया जाएगा। माकपा के मो सलीम ने कहा कि एजंडे में सड़कों पर प्रदर्शन करने और नोटबंदी की सूचना कथित तौर पर कुछ उद्योगपतियों को लीक करने की जांच के लिए जेपीसी के गठन की मांग भी की जाएगी।
बहरहाल, विपक्षी दल राज्यसभा में नोटबंदी के मुद्दे पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री के मौजूद रहने और लोकसभा में कार्यस्थगन प्रस्ताव पर जोर देना जारी रखेंगे। बैठक में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, जद (एकी), माकपा, भाकपा, राकांपा और राजद जैसे दलों ने हिस्सा लिया।
माकपा संसद के बाहर नोटबंदी जैसे नीतिगत मामलों की घोषणा करने और उनका जवाब देने के लिए सदन में नहीं आने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अवमानना नोटिस देने के लिए कानूनी सलाह ले रही है। पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, अगर प्रधानमंत्री संसद के बाहर बड़ी नीतिगत घोषणा करते हैं और खासकर तब जब इसे राष्ट्रपति द्वारा समन किया गया है तो मुद्दे का जवाब देने के लिए दोनों सदनों में आना उनका कर्तव्य बनता है। ऐसा नहीं हुआ है। संसद में नहीं आने के लिए मोदी के ‘घमंड और जिद’ की आलोचना करते हुए येचुरी ने कहा, हम मुद्दे पर गौर कर रहे हैं और विपक्षी दलों के साथ चर्चा के बाद हम प्रधानमंत्री के खिलाफ अवमानना नोटिस पेश करेंगे। उन्होंने पूछा कि क्या प्रधानमंत्री संसद के बाहर नीतिगत बयान दे सकते हैं जबकि राष्ट्रपति सदन का सत्र बुला चुके हों, उन्होंने कहा, हमारे मुताबिक वे ऐसा नहीं कर सकते। लेकिन ऐसा किया गया है। येचुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री संसद के बाहर बयान पर बयान दे रहे हैं, जब सत्र चल रहा है, लेकिन संसद के अंदर बयान नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा, यह संसद की अवमानना है। हम उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही पेश करने की संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं और कानूनी परामर्श ले रहे हैं। हम सभी विपक्षी दलों से विचार-विमर्श करेंगे।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में लोग सर्वोच्च होते हैं क्योंकि वे संसद के लिए प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं और सरकार संसद के प्रति जवाबदेह है। उन्होंने कहा, चूंकि प्रधानमंत्री संसद नहीं आ रहे हैं, यह संसदीय प्रणाली का क्षरण है।
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