विपक्ष ने संसद में दूसरे दिन भी केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति के विवादास्पद बयान पर सरकार से उन्हें बर्खास्त करने की मांग पर दबाव बनाते हुए हंगामा जारी रखा। जबकि सरकार अपने इस रुख पर बरकरार रही कि मंत्री के खेद जताने के बाद यह मामला समाप्त हो जाना चाहिए।

राज्यसभा में कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने आरोप लगाया कि मोदी पिछले दो दिन से संसद भवन में हैं लेकिन उन्होंने एक भी दिन उच्च सदन में आ कर इस मुद्दे पर सफाई देना उपयुक्त नहीं समझा।

साध्वी निरंजन ज्योति ने मंगलवार को दोनों सदनों में अपने बयान पर खेद व्यक्त किया था और राज्यसभा में कहा था कि अगर सदन को लगता है तो वह माफी मांगने को तैयार हैं। राज्यसभा में सदन की बैठक शुरू होते ही विपक्षी सदस्यों ने इस मुद्दे पर हंगामा शुरू कर दिया। सपा के नरेश अग्रवाल ने व्यवस्था के प्रश्न पर यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि सदन को इस मंत्री के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास करना चाहिए जिसमें उन्हें बर्खास्त करने की मांग करनी चाहिए।

इस पर नायडू ने कहा कि जब मंत्री ने सदन के बाहर दिए गए बयान पर सदन में आकर खेद जता दिया है तो इस मामले को समाप्त मान लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार का मानना है कि यह बयान बेहद आपत्तिजनक और अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार में एक तत्कालीन केंद्रीय मंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और सपा नेता मुलायम सिंह यादव के खिलाफ बेहद आपत्तिजनक बयान दिया था और इस पर माफी मांगने से इनकार कर दिया था। इस बयान को लेकर बाद में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने माफी मांगी थी। उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के एक सदस्य ने भी महिलाओं को लेकर एक बेहद आपत्तिजनक बयान दिया था।

कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा ने सरकार के इस रुख पर बेहद आपत्ति जताते हुए कहा कि यह मामला इतना आसान नहीं है कि यह केवल मंत्री के माफी मांग लेने से समाप्त हो जाए। उन्होंने कहा कि मंत्री ने जो भी कहा वह संज्ञेय होने के साथ साथ भारतीय दंड संहिता की धारा 153 (ए) के तहत दंडनीय अपराध है जिसमें कम से कम तीन साल तक की सजा हो सकती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री पिछले दो दिन से संसद में मौजूद हैं लेकिन उन्होंने एक भी दिन उच्च सदन में आ कर इस मुद्दे पर सफाई देने की जरूरत नहीं समझी।

माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि यह गंभीर मामला है और मंत्री को बर्खास्त किया जाना चाहिए। जद (एकी) के शरद यादव ने कहा कि यदि ऐसे मामलों में कार्रवाई होगी तो आगे से कोई भी मंत्री ऐसे बयान देने से बचेगा। भोजनावकाश के बाद हंगामे के बीच कांग्रेस के अश्विनी कुमार ने व्यवस्था के प्रश्न के नाम पर कहा कि मंत्री के बयान से धर्मनिरपेक्ष सोच रखने वालों का अपमान हुआ है। सपा नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि मंत्री के बयान से संविधान का उल्लंघन हुआ है क्योंकि संविधान की प्रस्तावना में ही भारत को धर्मनिरपेक्ष देश बताया गया है।

उधर, लोकसभा में भी विपक्षी सदस्यों ने इस मुद्दे को उठाया। प्रश्नकाल में विपक्षी दल के सदस्य अध्यक्ष के आसन के समीप आकर संबंधित मंत्री के इस्तीफे की मांग को लेकर नारेबाजी करने लगे। विपक्ष के शोर-शराबे के चलते प्रश्नकाल के दौरान सदन की कार्यवाही करीब दस मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी। अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि कल इस विषय पर चर्चा हो चुकी है, सदस्य अपने विचार रख चुके हैं। उन्होंने कहा कि आपको बोलने दिया गया है। अब कृपया सदन को चलने दें। शून्यकाल में अपनी बात रखें।

कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मंगलवार को प्रधानमंत्री सदन में नहीं थे। आज प्रधानमंत्री आए हैं। एक मंत्री ने ऐसा बयान दिया है। उन्होंने अपना अपराध मान लिया है। अब प्रधानमंत्री बताएं कि माफी मांगने वाले मंत्री पर क्या कार्रवाई की गई। नायडू ने विपक्षी सदस्यों से प्रश्नकाल चलने देने को कहा। लेकिन विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी रहा। प्रश्नकाल समाप्त होते ही हंगामा कर रहे कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वामदलों के सदस्य सदन से वाकआउट कर गए। मंगलवार को भी इसी मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे के कारण राज्यसभा की कार्यवाही भोजनावकाश के पहले बार बार बाधित हुई और बाद में पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।