ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ONGC) के चेयरमैन अरुण कुमार सिंह ने कहा है कि अमेरिकी टैरिफ के बावजूद रूस से तेल आयात रोकने को लेकर कंपनी पर कोई दबाव नहीं है। उन्होंने कहा कि ONGC समूह की रिफाइनरियां रूस से कच्चा तेल खरीदना तब तक जारी रखेंगी, जब तक इसे आर्थिक और कारोबारी रूप से फायदा होता रहेगा।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए अरुण कुमार सिंह ने कहा कि रूस से तेल खरीदने पर कोई प्रतिबंध नहीं है और जब तक सरकार इस बारे में कोई फैसला नहीं ले लेती, ONGC समूह की रिफाइनरियां- हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (एचपीसीएल) और मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स (एमआरपीएल) रूस से कच्चा तेल खरीदने के लिए पूरी तरह आजाद हैं।
अरुण कुमार सिंह ने अपनी बात को साफ करते हुए कहा कि जब तक यह फायदे का सौदा रहेगा, हम बाजार में आने वाली (रूसी तेल की) हर बूंद खरीदेंगे।
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एचपीसीएल और एमआरपीएल की संयुक्त रिफाइनिंग क्षमता लगभग 40 मिलियन टन प्रति वर्ष है। इसके अलावा, एचपीसीएल की मित्तल एनर्जी के साथ 11.3 मिलियन टन प्रति वर्ष की संयुक्त रिफाइनरी भी है। भारत की कुल रिफाइनिंग क्षमता 258 मिलियन टन प्रति वर्ष है।
रूस से तेल खरीद को लेकर नाराज है अमेरिका
ट्रंप प्रशासन के लिए मुश्किल इस बात की है कि भारतीय रिफायनरियां रूस से तेल खरीद रही हैं। इस महीने की शुरुआत में ट्रंप ने जब भारत पर एडिशनल 25% टैरिफ लगाया था तो इसके पीछे यही वजह बताई थी कि भारत रूस से भारी मात्रा में तेल खरीद रहा है और इसे पेनल्टी बताया था।
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भारत ने अमेरिका के व्यवहार को पूरी तरह गलत बताया था और कहा था कि अमेरिका ने खुद ही भारत को रूस से तेल खरीदने के लिए प्रेरित किया था।
केंद्र ने तेल कंपनियों को नहीं दिया कोई निर्देश
भारत की सरकारी तेल कंपनियों को अब तक सरकार की ओर से रूस से तेल के आयात को लेकर किसी तरह का कोई निर्देश नहीं मिला है। भारत सरकार स्पष्ट रूप से कह चुकी है कि जहां से उसे सबसे अच्छी डील मिलेगी, वह वहीं से तेल खरीदेगी। बशर्ते उस पर किसी किसी तरह का कोई प्रतिबंध न हो।
अमेरिका और पश्चिमी देश भारत पर रूस से तेल न खरीदने को लेकर दबाव बना रहे हैं। उनका मानना है कि इससे रूस यूक्रेन के साथ युद्ध खत्म करने के लिए मजबूर हो जाएगा। इस बीच, भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील को लेकर चल रही बातचीत भी रुक गई है।
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