Delhi Assembly Polls 2020: दिल्ली विधानसभा चुनाव में छह वामपंथी पार्टियों ने 18 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। इन आठों उम्मीदवारों के ऊपर सबसे बड़ी चुनौती अपने मतों की संख्या को ‘एक हजार’ से अधिक ले जाना है। 2015 के चुनाव में सात वामपंर्थी पार्टियों ने कुल 15 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे लेकिन एक भी उम्मीदवार एक हजार मत पाने में सफल नहीं रहा था। सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर आॅफ इंडिया (कम्युनिस्ट) की ओर से बादली से चुनाव लड़ने वाले राकेश कुमार को सबसे अधिक 947 मत मिले थे। दिल्ली विधानसभा के इतिहास में वामपंथी पार्टियों ने एक भी सीट नहीं जीती है। जबकि 1993 से पहले दिल्ली महानगर परिषद में भाकपा के तीन सदस्य होते थे।

दिल्ली विधानसभा चुनाव में वामपंथी दल कम से कम 18 उम्मीदवार मैदान में उतारेंगे। इनमें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भाकपा (माले), फॉरवर्ड ब्लॉक, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) और नेशनल पावर पार्टी (एनपीपी) शामिल हैं।

भाकपा के दिल्ली प्रदेश सचिव प्रोफेसर दिनेश वार्ष्णेय ने बताया कि उनकी पार्टी तीन सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इनमें पालम से दिलीप कुमार, तिमारपुर से संजीव कुमार राणा और बवाना से अभीप्सा चौहान शामिल हैं। माकपा करावलनगर, वजीरपुर और बदरपुर से अपने उम्मीदवार मैदान में उतारेगी। इसके अलावा भाकपा (माले) दो, फॉरवर्ड ब्लॉक तीन, आरएसपी एक और एनपीपी छह उम्मीदवार मैदान में उतारेगी।

प्रोफेसर वार्ष्णेय ने बताया कि वे दिल्ली की खस्ता परिवहन व्यवस्था, मेट्रो का अधिक किराया, प्रदूषण, ठेका मजदूरों को नियमित न करने, दिल्ली के विद्यार्थियों को दिल्ली में दाखिला नहीं मिलने, सरकारी कॉलेजों की संख्या कम होने और महिला सुरक्षा की कमी को अपना मुद्दा बना रहे हैं।

पिछले चुनाव में माकपा के करावल नगर से उम्मीदवार रंजीत तिवारी को 712 मत मिले थे जबकि भाकपा के बल्लीमारान से उम्मीदवार अब्दुल जब्बर को 644 मत मिले थे। वहीं, सीपीआइ के ही तिमारपुर से उम्मीदवार संजीव कुमार राणा को 542 मत मिले थे। अन्य सीटों पर वामपंथी उम्मीदवार 500 का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाए थे। आॅल इंडिया फॉडवर्ड ब्लॉक के मुंडका से उम्मीदवार राकेश शर्मा को मात्र 52 मत मिले थे।