मिहिर मिश्रा
NPA OF MSME LOAN: मई 2020 में कोविड -19 राहत पैकेज के हिस्से के रूप में शुरू की गई आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजी योजना) के तहत वितरित किए गए हर छह ऋणों में से एक सिर्फ 27 महीने में खराब हो गया। यह सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र में जारी संकट का संकेत है। द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मिली जानकारी के मुताबिक डेटा से पता चलता है कि चूक मुख्य रूप से ऋण बैंड के निचले स्तर (20 लाख रुपये तक) में हैं।
सरकार ने मार्च में राष्ट्रीय लॉकडाउन की घोषणा के दो महीने बाद मई 2020 में एमएसएमई क्षेत्र के लिए ईसीएलजी योजना की घोषणा की थी। योजना के पहले कंपोनेंट (ECLGS 1.0) के तहत ऋण में दो साल की मोहलत मिली थी।
एक आरटीआई का जवाब देते हुए ऋणों के प्रबंधन और गारंटी प्रदान करने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा स्थापित कंपनी नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (NCGCT) ने कहा है कि मई 2020 से वितरित 16.22 लाख खातों में ऋण (कुल 98.86 लाख खातों का 16.4 प्रतिशत) एनपीए में बदल गए।
इस साल 25 अगस्त को आरटीआई जवाब के अनुसार कुल एनपीए या खराब ऋण 11,893.06 करोड़ रुपये था। इस साल 25 अगस्त तक वितरित कुल ऋण राशि 2,81,375.99 करोड़ रुपये थी। बैंकों से दिए जा सकने वाले ऋणों की मात्रा को शुरू में चरणबद्ध तरीके से 50 करोड़ रुपये से बढ़ाया गया था, और 500 करोड़ रुपये की सीमा को अंततः मई 2021 में हटा दिया गया था।
सरकार ने मार्च में राष्ट्रीय लॉकडाउन की घोषणा के दो महीने बाद मई 2020 में एमएसएमई क्षेत्र के लिए ईसीएलजी योजना की घोषणा की थी। इस योजना के पहले कंपोनेंट (ECLGS 1.0) के तहत ऋण में दो साल की मोहलत मिलती है। बैंकों के लिए ब्याज दर 9.25 प्रतिशत और गैर-बैंकिंग वित्तीय निगमों (NBFC) के लिए 14 प्रतिशत तक सीमित थी। एमएसएमई को उनके बकाया ऋण के अधिकतम 20 प्रतिशत तक अतिरिक्त ऋण दिया गया था। अधिकतम ऋण 50 करोड़ रुपये दिया गया था। दो साल की मोहलत के बाद भी जब इन ऋणों को नहीं चुकाया गया तो इन्हें एनपीए में डाल दिया गया।