एक देश एक चुनाव को लेकर चर्चा काफी समय से चल रही है, मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल के दौरान भी कई मौकों पर इस मुद्दे पर बहस हो चुकी है। अब जब फिर प्रधानमंत्री मोदी सत्ता में लौट आए हैं, इसी एक देश एक चुनाव को लेकर चर्चा तेज है। ऐसी खबर है कि सरकार हर कीमत पर अपने इसी कार्यकाल में यह बिल लाना चाहती है। इसे लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन सरकार से जुड़े एक सूत्र ने जरूर संकेत दे दिए हैं।
पिछली नीतियां, योजनाएं आगे भी रहेंगी जारी
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार के ही एक अधिकारी ने आगे की योजना को लेकर विस्तार से बताया है। जारी बयान में कहा गया है कि बात चाहे डिफेंस की हो, गृह मंत्रालय की हो, शिक्षा, डिजिटल इंडिया की हो, इंफ्रा पर 11 लाख करोड़ हर साल खर्च करने की हो, 2014 में जो भी काम शुरू किए गए थे, उन्हें अभी भी आगे बढ़ाया जा रहा है। हमारी आज की विदेश नीति देख लीजिए, अब एक रीढ़ की हड्डी दिखती है, पिछली सरकारों का जैसा हाल नहीं है।
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वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर क्या खबर?
एक देश एक चुनाव को लेकर भी एक बड़ा हिंट मिल है। तर्क दिया गया है कि पीएम मोदी ने अपने इस बार के 15 अगस्त वाले संबोधन में भी वन नेशन वन इलेक्शन का जिक्र किया था। इसके ऊपर इस मुद्दे पर मंथन करने के लिए जो हाई लेवल कमेटी बनाई गई थी, उसने भी सुझाव दिया है कि देश में एक देश एक चुनाव होना चाहिए। सरकार दावा कर रही है कि इस मुद्दे पर उसके दूसरी साथी भी उसका समर्थन कर रहे हैं, फिर चाहे बात जेडीयू की हो या फिर टीडीपी की।
जनगणना करवाएगी मोदी सरकार?
लेकिन तीसरे कार्यकाल के कुछ अनुभव सरकार के लिए सबक बनकर भी सामने आए हैं। उदाहरण के लिए लेटरल एंट्री पर रोक लगाने का फैसला लेना, वक्फ बोल्ड वाले बिल को ज्वाइंट कमेटी के पास भेज देना। यह वो फैसले हैं जो सरकार पूर्ण बहुमत होने पर आराम से ले सकती थी, लेकिन अब सहयोगियों की तमाम आपत्तियों को भी तवज्जो देनी पड़ रही है। वैसे सरकार के ही एक सूत्र से पता चला है कि आने वाले समय में सरकार जनगणना करवाने को लेकर भी गंभीर है। 2020 में कोरोना की वजह से उस प्रक्रिया में देरी हो गई थी, लेकिन अब सरकार उसकी तैयारी भी शुरू कर सकती है।
लिज मैथ्यूज की रिपोर्ट