एक राष्ट्र एक चुनाव को लेकर बनाई गयी समिति ने चुनाव के मुद्दे पर जनता से सुझाव मांगे गए थे। कोविंद समिति को लगभग 21,000 सुझाव मिले। इनमें से 81 प्रतिशत ने इस विचार पर सहमति जताई। 81 प्रतिशत लोगों ने देश में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के विचार पर सहमति जताई है।
एक आधिकारिक बयान में रविवार को बताया गया कि 46 राजनीतिक दलों से भी सुझाव मांगे गए थे। बयान में कहा गया कि अब तक 17 राजनीतिक दलों के सुझाव मिले हैं। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस समेत विभिन्न विपक्षी दलों ने एक साथ चुनाव कराने के विचार का विरोध किया है। सितंबर 2023 में गठित पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व वाली समिति ने रविवार को अपनी तीसरी बैठक की।
कोविंद समिति को मिले 21,000 सुझाव
समिति ने अपनी बैठक के बाद कहा, “कुल 20,972 प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं, जिनमें से 81 प्रतिशत लोगों ने एक साथ चुनाव के विचार पर सहमति जताई।” बयान में कहा गया कि समिति की अगली बैठक 27 जनवरी 2024 को होगी। रविवार को समिति द्वारा दिए गए बयान में बताया गया है कि 46 राजनीतिक दलों से भी सुझाव मांगे गए थे। बयान में कहा गया कि अब तक 17 राजनीतिक दलों से सुझाव प्राप्त हुए हैं।
इन दलों ने किया विरोध
दरअसल, 5 जनवरी को समिति ने देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए मौजूदा कानूनी-प्रशासनिक ढांचे में उचित बदलाव करने के लिए नागरिकों से सुझाव आमंत्रित करते हुए एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया था। पीटीआई के मुताबिक समिति ने रविवार को अपनी तीसरी बैठक की। पैनल की रविवार की बैठक में राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एन के सिंह, पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष सी कश्यप और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी शामिल हुए।
चुनाव आयोग के सुझावों को भी समिति ने नोट किया। कांग्रेस और टीएमसी समेत तमाम विपक्षी दलों ने एक साथ चुनाव कराने के विचार का विरोध किया है। इस मुद्दे पर दोबारा लॉ पैनल को बुलाया जा सकता है।