पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) और नई पेंशन योजना (New Pension Scheme) के बीच विवाद बढ़ता ही जा रहा है। विधानसभा चुनावों के दौरान विपक्ष मोदी सरकार की इस योजना को अपने राज्य में सत्ता में आने पर खत्म करने का वादा करती है, जबकि भाजपा सरकार योजना को कर्मचारियों के हित में बताती रही है।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने मंगलवार को संकेत दिया कि सरकार कैबिनेट मीटिंग में पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) को लागू करने के लिए चर्चा करेगी और इस पर फैसले का ऐलान बजट में करेगी।

एनपीएस कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत के दौरान उनके कार्यालय से जारी एक बयान में सीएम के हवाले से यह जानकारी दी गई थी, जिसने उनसे मुलाकात कर नई पेंशन योजना (NPS) को रद्द करने का आग्रह किया था।

इस अवसर पर बोलते हुए पूर्व एमएलसी वीएस उगरप्पा ने कहा कि 2.98 लाख कर्मचारी एनपीएस के अंतर्गत आते हैं। पेंशन की रकम एनएसडीएल में जमा हो जाती है। बयान में कहा गया है कि यह राशि जीपीएफ में जमा की जा सकती है जिसे सेवानिवृत्ति के समय उपलब्ध कराया जा सकता है।

उन्होंने समझाया कि सरकार को ‘वोट फॉर ओपीएस (Vote For OPS)’ अभियान में हिस्सा लेने वालों के खिलाफ की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई को छोड़ने का फैसला करना चाहिए।

कर्नाटक राज्य एनपीएस कर्मचारी संघ के अध्यक्ष शांताराम तेजा के हवाले से कहा गया, “राजस्थान और छत्तीसगढ़ में एनपीएस को रद्द कर दिया गया है। इसे कर्नाटक में भी रद्द कर दिया जाना चाहिए और पुरानी पेंशन योजना को लागू किया जाना चाहिए। एनपीएस (NPS) को रद्द करने से योजना के तहत कुल 19,000 करोड़ रुपये मिलते हैं जो राज्य के विकास कार्यक्रमों के लिए उपयोग किए जा सकते हैं। कर्मचारियों के 9,000 करोड़ रुपये जीपीएफ में परिवर्तित किए जा सकते हैं और 10,000 करोड़ रुपये सरकारी हिस्से का उपयोग विकास कार्यक्रमों के लिए किया जा सकता है।”