नई पेंशन प्रणाली और पुरानी पेंशन प्रणाली को लेकर कर्मचारियों का विरोध बढ़ता जा रहा है। दो दिन पहले दिल्ली के रामलीला मैदान में इसको लेकर कर्मचारियों ने जोरदार विरोध जताया था। कर्मचारी पुरानी पेंशन प्रणाली को ही लागू करने की मांग कर रहे हैं। एनपीएस को सन 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने लागू किया था। इसके लागू होने से पहले वाले कर्मचारियों को अब भी पुरानी पेंशन प्रणाली का फायदा मिल रहा है। नई पेंशन प्रणाली को ही राष्ट्रीय पेंशन योजना भी कहते हैं।
नहीं भा रही है नई पेंशन प्रणाली (National Pension Scheme)
वर्षों नौकरी करने के बाद जब कर्मचारी सेवानिवृत्त होता है तो उसको अपना शेष जीवन अपनी पेंशन से सुरक्षित रहने की उम्मीद रहती है। पहले 25-30 साल नौकरी करने के बाद कर्मचारियों को उनके वेतन का आधा हिस्सा पेंशन के रूप में आजीवन मिलता था। यह वह राशि होती है, जिसे उनके वेतन से कभी काटी नहीं गई है। इस पर महंगाई भत्ता भी मिलता रहता है। पिछले कुछ वर्षों से सरकार ने नई पेंशन प्रणाली लेकर आई है। कई राज्यों में वह लागू भी है। हालांकि कर्मचारियों को वह भा नहीं रही है।
क्या है पुरानी पेंशन प्रणाली (Old Pension Scheme)
पुरानी पेंशन स्कीम में यह व्यवस्था थी कि कर्मचारियों को सेवानिवृत्त के बाद पूरी जिंदगी पेंशन मिलती रहती थी। कर्मचारी के सेवानिवृत्त के समय मिलने वाली राशि का आधा हिस्सा उनको पेंशन के रूप में दिया जाता था। इसके अलावा ग्रैच्युटी, महंगाई भत्ता और साल में दो बार महंगाई राहत के संशोधन का लाभ भी मिला करता था। खास बात यह है कि पूरा पैसा सरकारी खजाने से दिया जाता था और कर्मचारी की सैलरी से कोई पैसा नहीं कटता था।
नई पेंशन प्रणाली (New or National Pension Scheme)
नई पेंशन स्कीम इसका बिल्कुल उलटा है। अब कर्मचारी के वेतन से 10 फीसदी की कटौती की जाती है। यह हिस्सा पेंशन के लिए जाता है। 14 फीसद हिस्सा सरकार देती है, लेकिन कोई ग्रैच्युटी नहीं मिलती है। सेवानिवृत्त के बाद रकम वापस होने की गारंटी भी नहीं है। क्योंकि वह पैसा शेयर मार्केट में लगाया जाता है। जो कटौती कर्मचारियों के वेतन से होती है, वह पीएफआरडीए बाजार में लगाया जाता है और उसी में से 25 फीसदी या 40 फीसदी हिस्सा कर्मचारी निकाल सकते हैं। शेष राशि वार्षिकी (Annuity) के तौर पर उसी में पड़ा रहेगा। रिटायरमेंट के बाद भी कर्मचारी इसको निकाल नहीं सकते। पुरानी प्रणाली में जीपीएफ सुविधा थी। नई प्रणाली में वह नहीं है।
पुरानी पेंशन योजना (OPS) पर स्विच करने पर चल रही बहस के बीच कई राज्यों ने बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारियों को लेकर चिंता व्यक्त की है, जिन्हें कैरियर के बीच में सरकारी सेवा में नियमित किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप पूर्ण-सेवा वाले सरकारी कर्मचारियों की तुलना में कम राशि के योगदान के कारण कम पेंशन भुगतान हुआ। हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे कुछ राज्य इस मुद्दे का सामना कर रहे हैं क्योंकि उनके पास बड़ी संख्या में ऐसे कर्मचारी हैं जिनकी सेवा के कुल वर्ष लगभग 10 वर्ष हैं।