राकेश अस्थाना के पद से हटते ही राष्ट्रीय राजधानी में सुरक्षा और कानून व्यवस्था का जिम्मा पांचवीं बार दिल्ली से बाहर के कैडर के हाथों दिया गया है। दिल्ली में संजय अरोड़ा 25वें पुलिस आयुक्त बनेंगे। पुलिस आयुक्त के पद पर 1988 बैच के तमिलनाडु कैडर के आइपीएस संजय अरोड़ा का नाम सामने आते ही चर्चाओं का बाजार थम गया। इस नियुक्ति ने जहां इस बात को बल प्रदान कर दिया कि अब दिल्ली के आयुक्त किसी भी राज्य से और कैडर के आइपीएस को बनाया जा सकता है।
वहीं, कैडर बदलकर आयुक्त बनाने के बाद अब आने वाले समय में उपायुक्त, संयुक्त आयुक्त और विशेष आयुक्त के भी कैडर बदलकर दूसरे राज्यों और शहरों में भेजे जाने में किसी भी प्रकार की अड़चने नहीं रहेगी। रविवार सुबह तक पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना का सेवा विस्तार तय माना जा रहा था। लेकिन अचानक साढ़े 12 बजे के करीब एक आदेश सोशल मीडिया पर आया कि अस्थाना की विदाई का परेड चार बजे पुलिस लाइंस परेड में होगा।
इसे कुछ लोगों ने अफवाह तो कुछ ने यह बताया कि इसका सत्यापन होना बाकी है। लेकिन तभी एक आदेश तुरंत आ गया जिसमें 1988 तमिलनाडु कैडर के भारतीय पुलिस सेवा (आइपीएस) अधिकारी संजय अरोड़ा को दिल्ली पुलिस का आयुक्त नियुक्त कर दिया गया है। एजीएमयूटी (अरुणाचल प्रदेश गोवा मिजोरम एवं केंद्र शासित प्रदेश) के किसी अधिकारी को पद न मिलने से कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं।
1983 से शुरू हुआ था बदलाव
साल 1983 में कांग्रेस के शासनकाल में राजस्थान कैडर के एससी टंडन को और 1984 में महाराष्ट्र कैडर के एसएस जोग को पुलिस आयुक्त बनाकर दिल्ली लाया गया था। ये केवल करीब एक साल के लिए ही नियुक्त रहे। इसके बाद साल 1999 में भाजपा के शासन काल में 1966 बैच के उत्तर प्रदेश काडर के आइपीएस अजय राज शर्मा को दिल्ली पुलिस का आयुक्त बनाया गया था। शर्मा सफल आयुक्त रहे। तीन साल की बेहतरीन पारी के बाद उन्हें सीमा सुरक्षा बल का महानिदेशक बनाया गया। इसके बाद पिछले साल गुजरात कैडर के राकेश अस्थाना एक साल के लिए पुलिस प्रमुख बनाए गए और अब तमिलनाडु कैडर के अरोड़ा लाए गए हैं।
एजीएमयूटी कैडर के कई अधिकारी मायूस
अरोड़ा के पद संभालते ही एजीएमयूटी कैडर के कई वरिष्ठ अधिकारियों में मायूसी छा गई है। 30 जून, 2021 को ही एजीएमयूटी कैडर के 1988 बैच के आइपीएस विशेष आयुक्त (सतर्कता) बालाजी श्रीवास्तव ने आयुक्त का अतिरिक्त कार्यभार संभाला था। बालाजी श्रीवास्तव से पहले सच्चिदानंद श्रीवास्तव को भी एक साल से ज्यादा समय तक कार्यवाहक आयुक्त ही बना के रखा गया था, सेवानिवृत्ति से करीब चालीस दिन पहले ही श्रीवास्तव को नियमित आयुक्त नियुक्त किया गया था।
लेकिन राकेश अस्थाना को आयुक्त बना कर बालाजी को जोर का झटका दिया गया था। इसका असर उन अफसरों पर पड़ा है जो आयुक्त बनने की कतार में सबसे प्रबल दावेदार थे। अगर अरोड़ा अपना तीन साल का पूरा कार्यकाल इस पद रहे तो एजीएमयूटी कैडर के अनेक दावेदार आइपीएस आयुक्त बने बगैर ही सेवानिवृत्त हो जाएंगे।
कई वरिष्ठ हुए दरकिनार
अरोड़ा की नियुक्ति के बाद कई वरिष्ठों को पीछे छोड़ किया गया है। जब बालाजी श्रीवास्तव को आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार दिया गया तो इस पद के दावेदार 1987 बैच के आइपीएस सत्येंद्र गर्ग और ताज हसन को दरकिनार कर दिया गया था। इसके बाद ताज हसन को सिविल डिफेंस, होमगार्ड और फायर सर्विस का महानिदेशक बना दिया गया। किरण बेदी को दरकिनार कर उनसे जूनियर युद्धबीर डडवाल को आयुक्त बनाया गया था।
दीपक मिश्रा, धर्मेंद्र कुमार और कर्नल सिंह को दरकिनार करके उनसे जूनियर अमूल्य पटनायक को आयुक्त बनाया गया था। ये सभी एजीएमयूटी काडर के ही थे। अब फिर इस काडर के ही 1987 और 1988 बैच के आइपीएस अफसरों को दरकिनार करके तमिलनाडु काडर के संजय अरोड़ा को बाहर से लाकर दिल्ली का आयुक्त बना दिया गया।
अस्थाना के कुछ काम
राकेश अस्थाना ने एक साल में ही कई अभूतपूर्व बदलाव कर वाह-वाही बटोरी है । आयुक्त रहते हुए पीसीआर को थाने के साथ मर्ज कर वहां पुलिसकर्मियों की संख्या को बढ़ाया। लंबे समय से पदोन्नति का इंतजार कर रहे 25 हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों को उनके कार्यकाल में पदोन्नति मिली। थाने से अलग जगह-जगह इंटीग्रेटेड बूथ बनाया ताकि बाहर से आने वाले की तुरंत शिकायत दर्ज किया जा सके। महिलाओं के लिए पिंक बूथ की स्थापना की और रिटायर कर्मचारियों के निधन पर सेल्यूट के साथ विदाई और रिटायर सीनियर अधिकारी को बावर्दी योद्धा सम्मान। अस्थाना ने ही अधिकारी और कनिष्ठों के लिए सीधा संवाद स्थापित करने की शुरुआत की थी।