पुरी (ओडिशा) में रविवार सुबह जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान गुंडिचा मंदिर के बाहर मची भगदड़ में तीन श्रद्धालुओं की कुचलकर मौत हो गई, जबकि 50 से अधिक लोग घायल हो गए। यह हादसा सुबह करीब 4 बजे हुआ, जब भगवान जगन्नाथ के नंदीघोष रथ के दर्शन के लिए भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी। मरने वालों की पहचान बसंती साहू (36), प्रेमकांति महांति (78) और प्रभाती दास के रूप में हुई है। तीनों के शव पुरी मेडिकल कॉलेज में रखे गए हैं।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हादसे की वजह श्रद्धालुओं की बेकाबू भीड़ थी, जो गुंडिचा मंदिर के सामने जमा थी। इसी दौरान धार्मिक सामग्री ले जा रहा एक वाहन भीड़ में घुस गया और लोगों में अफरा-तफरी मच गई। गिरने और कुचलने से कई लोग घायल हो गए। कई गंभीर घायलों का इलाज पुरी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में चल रहा है। कुछ को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई।
प्रशासन ने भीड़ को संभालने के लिए कोई ठोस इंतजाम नहीं किया
भगदड़ में अपनी पत्नी को खोने वाले एक व्यक्ति का कहना है, “जब यह घटना घटी, तो किसी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं की, न तो अग्निशमन अधिकारियों ने, न ही बचाव दल ने, न ही अस्पताल की टीम ने। यह एक दुखद घटना है जिसे व्यक्त नहीं किया जा सकता…।”
पुरी निवासी स्वाधीन कुमार पंडा ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया, “मैं रात करीब 2-3 बजे तक मंदिर के पास ही मौजूद था, लेकिन वहां प्रबंधन पूरी तरह असंतुलित नजर आया। वीआईपी लोगों के लिए अलग रास्ता बना दिया गया था, जबकि आम श्रद्धालुओं को दूर से ही बाहर निकलने के लिए कहा जा रहा था। नतीजा यह हुआ कि लोग उसी प्रवेश द्वार से बाहर निकलने लगे, जिससे भीड़ और ज्यादा बढ़ गई। यातायात व्यवस्था भी बेहद कमजोर थी। कई अनधिकृत पास वाली गाड़ियां मंदिर क्षेत्र तक पहुंच गईं। प्रशासन ने भीड़ को संभालने के लिए कोई ठोस इंतजाम नहीं किए थे। सबसे गंभीर समस्या निकास द्वार की थी, वह काफी संकरा था और पर्याप्त नहीं था।”
उन्होंने कहा, “रथ यात्रा के दिन भी कई लोगों की जान गई थी, लेकिन सरकार और प्रशासन ने यह बात छुपा ली और दावा किया कि कोई हताहत नहीं हुआ। आज तीन लोगों की मौत हुई है – दो महिलाएं और एक पुरुष। इसके लिए पूरी तरह ओडिशा प्रशासन जिम्मेदार है। रात के समय वहां न तो पुलिस थी, न ही कोई प्रशासनिक अधिकारी। सब कुछ भगवान भरोसे चल रहा था।”
इस घटना ने प्रशासन की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां भगदड़ हुई, वहां पर्याप्त पुलिसबल और सुरक्षा इंतजाम नहीं थे। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए न तो बैरिकेडिंग थी और न ही भीड़ प्रबंधन के विशेष उपाय किए गए थे। इससे पहले भी शुक्रवार को देवी सुभद्रा के रथ के पास भीड़ के दबाव से 625 श्रद्धालु बीमार पड़ गए थे, जिनमें से 70 को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था।
ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी को घटना की जानकारी दी है। उन्होंने जांच के आदेश देते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिया है।
रथ यात्रा के तहत भगवान बलभद्र और सुभद्रा के रथ पहले ही श्रध्दाबली पहुंच चुके थे। रविवार को भगवान जगन्नाथ का रथ अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर पहुंचा था, जिसके बाद यह हादसा हुआ। सुरक्षा व्यवस्था की चूक ने इस उत्सव को मातम में बदल दिया।