ओडिशा के पुरी में चार बेटियों ने अपनी मां का अंतिम संस्कार किया। दरअसल अपने दो भाइयों द्वारा अंतिम संस्कार के लिए मना करने के बाद उन्होंने यह कदम उठाया। चारों बेटियों ने अपने मां के शव को 4 किलोमीटर तक कंधों पर उठाकर श्मशान घाट तक पहुंचाया और उनका अंतिम संस्कार किया।
बेटों ने मां का अंतिम संस्कार करने से किया मना: रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुरी के मंगलाघाट के एक वृद्ध जाति नायक का रविवार को निधन हो गया था। जाति नायक के दो बेटे और चार बेटियां थीं। पड़ोसियों का कहना है कि उनके दोनों बेटों ने उनका अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया गया। जिसके बाद उनकी चार बेटियों ने रीति-रिवाज के बंधनों को तोड़ते हुए अपनी मां का अंतिम संस्कार करने का फैसला किया।
पड़ोसियों की मदद से बेटियों ने बनाई अर्थी: बता दें कि मां के शव को बेटियों ने घर के बाहर रखा, जिसमें कुछ और पड़ोसियों ने उनकी मदद भी की। इसके बाद उन्होंने अर्थी तैयार की और उसे अपने कंधे से अंतिम संस्कार के लिए चार किलोमीटर तक श्मशान घाट तक ले गईं।
बेटों ने सालों से नहीं ली थी सुध: बता दें कि जाति नायक की शिकायत भी रहती थी कि उनके बेटे उनकी देखभाल नहीं करते हैं। उनके दोनों दामादों में से एक ने इंडिया टुडे से कहा कि मेरी सास कुछ दिन पहले मेरे घर आई थीं। उन्होंने मुझसे कहा था कि तुम मेरे बड़े बेटे हो, मेरे दो बेटों में से कोई भी मेरा ख्याल नहीं रखता। वो दोनों कई सालों से मुझसे मिलने नहीं आए हैं।”
बेटों की तरफ से इस उदासीनता को देखते हुए बेटियों में मां को कंधा दिया। इसके साथ ही उन्होंने समाज में एक उदाहरण भी पेश किया कि बेटियों का भी वहीं स्थान है जो बेटों का है। बता दें कि रीति-रिवाज के मुताबिक मुखाग्नि पुरुष के हाथों होती है।