ओडिशा सरकार ने सरकारी और निजी क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं के लिए एक दिन की पीरियड लीव देने का ऐलान किया है। महिलाओं के स्वास्थ्य का समर्थन करने के लिए उनके मासिक धर्म चक्र के पहले या दूसरे दिन छुट्टी की अनुमति दी गई है। उप मुख्यमंत्री प्रवती परिदा ने इसका ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि यह वैकल्पिक होगा। तत्काल प्रभाव से लागू होने वाली यह पॉलिसी महिला कर्मचारियों को उनके मेंस्ट्रुअल साइकल के पहले या दूसरे दिन छुट्टी लेने की छूट देती है।

कटक में आयोजिक एक कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री ने इसका ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि अब तक मासिक चक्र के दौरान महिलाओं को कोई छुट्टी नहीं मिलती। इसलिए अब सरकार ने फैसला लिया है इस दौरान महिलाओं को एक दिन की छुट्टी दी जाए। महिलाएं अपने हिसाब से छुट्टी ले सकती हैं। हालांकि यह छुट्टी उन्हें तभी दी जाएगी जब वह इसके लिए आवेदन करेंगी। अगर कोई महिला छुट्टी लेना नहीं चाहती है तो उसे छुट्टी नहीं दी जाएगी।

किन राज्यों में लागू है यह फैसला

बता दें कि इससे पहले केरल और बिहार सरकार इस फैसले को लागू कर चुकी हैं। बिहार में इसकी शुरुआत 1992 में ही हो गई थी। इसके तहत महिलाओं को हर महीने दो दिन का सवेतन मासिक धर्म अवकाश दिया जाता है। वहीं केरल ने 2023 में इसकी शुरुआत की। केरल ने सभी विश्वविद्यालयों और संस्थानों में महिला छात्राओं को मासिक धर्म अवकाश दिया। साथ ही 18 वर्ष से अधिक आयु की महिला छात्राओं के लिए 60 दिनों तक का मातृत्व अवकाश दिया।

क्यों की जा रही मांग?

अभी तक पीरियड लीव को लेकर कोई प्रावधान नहीं था। अगर कोई महिला छुट्टी करती थी तो उसका वेतन काट लिया जाता था। महिलाओं का कहना है कि उन्हें इस दौरान असहनीय दर्द सहना पड़ता है। इस दौरान ना सिर्फ महिलाओं में चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है, बल्कि पेट और पीठ में दर्द बना रहता है। थकान और कमजोरी बनी रहती है। एक स्टडी में सामने आया है कि पीरियड्स के दौरान 15% से 25% महिलाओं को जबरदस्त दर्द होता है। अन्य देशों की बात करें तो जापान में 1947 से इसे लेकर कानून है। यहां महिलाओं को छुट्टी का प्रावधान तो है लेकिन महिलाओं यहां दौरान कम ही छुट्टी लेती हैं। ताइवान में भी पीरियड लीव अनिवार्य है।