पिछले 10 सालों में सरकारी बैंकों की ब्रांच की संख्या में 28 फीसद की बढ़ोतरी हुई है, जबकि क्लर्क्स की संख्या 13 फीसद तक कम हुई है। इस पर बुधवार को सरकारी बैंकों के प्रमुखों के साथ वित्त मंत्रालय की बैठक हुई। पिछले 10 सालों में ब्रांच की संख्या में 28 फीसद और अधिकारियों की संख्या में 26 फीसद का इजाफा हुआ है, लेकिन क्लर्क्स की संख्या में 13 फीसद की कमी आई है। बैठक में बैंकों के प्रमुखों ने भी यह बात स्वीकार की कि शाखा स्तर पर कर्मचारियों की कमी है।

शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित ब्रांच, जहां ग्राहक अपने कामों के लिए अभी भी बैंक में जाते हैं, वहां कर्मचारियों की संख्या कम है। जिस तरह ऑनलाइन बैंकिंग की तरफ लोगों का रुझान बढ़ा है और एटीएम से लेनदेन आदि अधीनस्थ कर्मचारियों की संख्या में गिरावट के कारण माने जा रहे हैं। मार्च 2021 के अंत तक 10 सालों के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र की बैंक शाखाओं की संख्या में 28% की वृद्धि हुई है।

मार्च 2021 के अंत तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की देश भर में 86,311 शाखाएं थीं, साथ ही लगभग 1. 4 लाख एटीएम भी थे। वहीं, एक दशक पहले, बैंकों की 67,466 शाखाएं और 58,193 एटीएम थे। आरबीआई द्वारा जारी आंकड़ों से पता चला है कि कर्मचारियों की कुल संख्या 2010-11 में 7.76 लाख से घटकर 2020-21 में 7.71 लाख से तक पहुंच गई। वहीं, बैंकिंग क्षेत्र में अधिकारियों की संख्या में लगभग 26% की वृद्धि हुई है।

मुख्य रूप से टेक्नोलॉजी के व्यापक उपयोग और इन ग्रेडों में भर्ती की कमी के कारण क्लर्कों और अधीनस्थ कर्मचारियों की संख्या में तेजी से गिरावट आई है। वित्त मंत्रालय की यह बैठक ऐसे समय में हुई है, जब केंद्र सरकार को देश में बेरोजगारी को लेकर विपक्षी दल घरने में लगे हैं। जून महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया था कि सभी सरकारी विभागों को दिसंबर 2023 तक 10 लाख लोगों को नियुक्त करने के लिए कहा गया है।

वहीं, सरकार ने भर्ती के लिए बैंकों से कार्य योजना तैयार करने को कहा है। वहीं, वित्तीय सेवा सचिव संजय मल्होत्रा भी ​​बैंकरों से मुलाकात करेंगे। बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फ्रंट डेस्क को संभालने के लिए स्थानीय भाषा के ज्ञान की आवश्यकता के बारे में भी बात की, जिसके लिए बैंकों ने अभी तक एक योजना पर काम नहीं किया है।