हरियाणा के नूंह में पिछले दिनों भड़की हिंसा के बाद कुछ लोग कथित तौर पर मुसलमानों के खिलाफ फरमान जारी कर रहे हैं। हरियाणा के विकास और पंचायत मंत्री और जेजेपी नेता देवेंदर सिंह बबली ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया है, कई ग्राम पंचायतों द्वारा समुदाय के सदस्यों का “बहिष्कार” करने और गांवों में उनके प्रवेश पर रोक लगाने के प्रस्तावों पर हस्ताक्षर करने किये गये हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस बीच नूंह और आसपास के क्षेत्रों में बड़ी संख्या में घटना के दोषियों के अवैध और गैरकानूनी तरीके से बने मकानों और इमारतों को बुलडोजर चलाकर गिरा दिया गया। गिराए गये मकानों, इमारतों और दुकानों की संख्या 1200 के आसपास बताई गई है। आरोप है कि गिराए गये अधिकतर मकान और दुकान मुसलमानों के हैं। हालांकि हाईकोर्ट के निर्देश के बाद फिलहाल इसको रोक दिया गया है।

सांप्रदायिक झड़पों के मद्देनजर कई पंचायतों ने जारी किए थे ऐसे निर्देश

फरमान जारी करने को लेकर विकास और पंचायत मंत्री देवेंदर सिंह बबली ने कहा, “मुझे इस मुद्दे की जानकारी है। कुछ स्थानों पर कुछ लोगों ने इस प्रकार के प्रस्ताव पारित किये, लेकिन मैंने ऐसे सभी स्थानों के जिला प्रशासनों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि ऐसा कृत्य कानून के तहत स्वीकार्य नहीं है, और यदि कोई व्यक्ति ऐसे फरमान जारी करने में शामिल है, तो उसके खिलाफ कानून के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी।” 31 जुलाई को नूंह में सांप्रदायिक झड़पों के मद्देनजर कई पंचायतों ने ऐसे निर्देश जारी किए थे।

रेवाडी जिले के अटेली ब्लॉक के सेहतपुर गांव के सरपंच विकास यादव ने कहा, “अटेली ब्लॉक की 43 पंचायतों में से 30-35 पंचायतों ने इसी तरह के प्रस्तावों पर हस्ताक्षर किए हैं। मैं अटेली ब्लॉक की सरपंच एसोसिएशन का अध्यक्ष भी हूं। हमारे गांवों के लोगों में भारी आक्रोश था; हम कोई टकराव या सांप्रदायिक सौहार्द्र में खलल नहीं चाहते हैं।”

टकराव को रोकने के लिए बाहरी लोगों के गांवों में प्रवेश पर लगाया बैन

उन्होंने कहा, “इन प्रस्तावों पर हस्ताक्षर करने के पीछे हमारा मुख्य उद्देश्य यह है कि जो बाहरी लोग हमारे गांवों में आकर व्यापार करते हैं या रहते हैं, उनका सत्यापन किया जाना चाहिए। उनमें से कुछ असामाजिक तत्व भी हो सकते हैं, जो कानून-व्यवस्था में व्यवधान उत्पन्न करते हैं। अन्यथा, अटेली ब्लॉक में चार-पांच गांव ऐसे हैं, जहां मुस्लिम समुदाय का वर्चस्व है और वे पिछले 40-50 वर्षों से यहां रह रहे हैं। उनसे किसी को कोई परेशानी नहीं है, लेकिन हमारा मुख्य मुद्दा रेहड़ी-पटरी वालों और जानवरों की चोरी की बढ़ती घटनाओं से है, यही वजह है कि हमने ऐसे प्रस्तावों पर हस्ताक्षर किए हैं। जब तक नूंह में माहौल सामान्य नहीं हो जाता, हम किसी भी टकराव से बचने के लिए अपने गांवों में ऐसे किसी भी व्यक्ति के प्रवेश से बच रहे हैं।”

हिसार के महापंचायत में आपसी सौहार्द्र बढ़ाने पर जोर

उधर, हरियाणा के हिसार जिले के बास गांव में बुधवार को एक ‘महापंचायत’ का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न धर्मों, किसान संगठनों और खापों के लोगों ने समुदायों के बीच जुड़ाव को मजबूत करने की बात कही। नूंह में सांप्रदायिक झड़पों के कुछ दिन बाद यह पहल की गई। 31 जुलाई को विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की ब्रज मंडल यात्रा पर एक भीड़ के हमला किए जाने के बाद मुस्लिम बहुल नूंह में हुईं झड़पों में दो होम गार्ड और एक इमाम समेत छह लोगों की मौत हो गई। हिंसा की कुछ छिटपुट घटनाएं गुरुग्राम में भी देखी गईं।

भारतीय किसान मजदूर यूनियन के बैनर तले आयोजित इस महापंचायत में बड़ी संख्या में हिंदू, मुस्लिम और सिख समुदाय के लोगों ने हिस्सा लिया। बैठक में पेश किये गये एक प्रस्ताव में कहा गया कि हिंदू, मुस्लिम और सिख समेत विभिन्न धर्मों के लोग मेवात क्षेत्र में शांति बहाल करने के लिए काम करेंगे। प्रस्ताव के अनुसार, “सरकार से मामले की निष्पक्ष जांच करने और दोषियों को गिरफ्तार करने को कहा गया है। समाज में दंगे भड़काने के लिए सोशल मीडिया पर भड़काऊ भाषण और वीडियो पोस्ट करने वालों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए और उन्हें गिरफ्तार किया जाए।”

महापंचायत के आयोजकों में शामिल और संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य सुरेश कोथ ने जोर देकर कहा कि हरियाणा की धरती का इस्तेमाल लोगों को जाति और धर्म के आधार पर विभाजित करने के लिए नहीं करने दिया जाएगा।