भारत में एक तरफ जहां विकास की रफ्तार सुस्त है, वहीं बेरोजगारों की समस्या भी मुंह खोले खड़ी है। देश के शहरों में हर पांचवा युवा बेरोजगार है। यह आंकड़ा NSO (National Statistical Organisation) ने जारी किया है। PLFS (Periodic Labour Force Survey) डाटा जारी करते हुए एनएसओ ने बताया है कि 2018-19 की आखिरी तिमाही में भारतीय शहरों में हर पांचवा युवा बेरोजगार है। जनवरी से लेकर मार्च 2019 के बीच जारी ताजा आंकड़े के मुताबिक देश में 15 से 29 साल के उम्र वाले तकरीबन 22.5 फीसदी लोग बेरोजगार हैं।
आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि श्रम बाजार काफी हद तक बेरोजगारी के मुद्दों को हल करने में विफल रहा है। हलांकि, पीएलएफएस के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल-जून 2018 और जनवरी-मार्च 2019 के बीच रोजाना कमाई और महीने की सैलरी उठाने वाले कर्मचारियों की कमाई में मामूली बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान कमाई में इजाफा 48.3% से बढ़कर 50% देखा गया। गौरतलब है कि इस दौरान पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को अच्छी कमाई मिली।
शनिवार को जारी इन आंकड़ों के मुताबिक पिछले चार तिमाहियों में संगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिला कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी हुई है। यह बढ़ोतरी पुरुष श्रमिकों के 1.5 प्रतिशत की तुलना में 2.1 प्रतिशत की है। हालांकि, आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि बेरोजगारी के मामले में भी महिलाओं की संख्या पुरुषों की तुलना में काफी ज्यादा है।
एनएसओ द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक 2018-19 के आखिरी तिमाही के दौरान महिलाओं में बेरोजगारी दर 29% थी। यह पुरुषों की तुलना में 8 प्रतिशत ज्यादा है। हालांकि, महिलाओं का यह आंकड़ा तब ऐसा है, जब देश के पूरे श्रम शक्ति में इनकी हिस्सेदारी काफी कम है।
