नई दिल्ली। सेना के बाद अब देश के विशिष्ट आतंकवाद निरोधक बल राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) ने चेतावनी दी है कि इस्लामिक स्टेट (आइएस) और अल कायदा जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन मिल कर भारतीय शहरों पर हमले कर सकते हैं। पर साथ ही उसने दावा किया कि यह बल इन खतरों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।

एनएसजी के महानिदेशक जेएन चौधरी ने भारत पर आइएस और अल कायदा के साझा हमलों की आशंका जताते हुए कहा कि 2008 में मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले तो खतरों की एक झलक भर थे। एनएसजी की यह चेतावनी सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी की ओर से यह कहने के एक दिन बाद आई है कि कश्मीर में आइएस के झंडे लहराने की घटनाएं चिंता की बात है और इस पर सुरक्षा एजंसियों की ओर से व्यापक ध्यान दिए जाने की जरूरत है ताकि घाटी के युवाओं को जेहादी संगठनों के चंगुल में फंसने से रोका जा सके।

एनएसजी के 30वें स्थापना दिवस पर संवाददाताओं से बातचीत में चौधरी ने कहा कि अब यह चिंता कोरी आशंका नहीं है कि इन आतंकवादी संगठनों को हरकत उल मुजाहिदीन, जैश ए मोहम्मद, इंडियन मुजाहिदीन और लश्कर ए तैयबा जैसे संगठनों के रूप में सहयोगी मिल सकते हैं जिनकी भारत में पहले से मौजूदगी है।

महानिदेशक ने कहा कि ऐसे में जब अल कायदा जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों ने भारत में हमला करने का अपना इरादा घोषित कर दिया है, वे जाहिर तौर पर उन आतंकवादी संगठनों का साथ लेंगे जो देश में पहले से ही सक्रिय हैं। चाहे ये लश्कर (लश्कर ए तैयबा), जैश (जैश ए मोहम्मद), हरकत (हरकत उल मुजाहिदीन) या आइएम (इंडियन मुजाहिदीन) हों। उन्होंने कहा कि इसलिए हमारे सामने खतरा यह है कि यदि उनकी कोई मिली जुली रणनीति या मिला जुला अभियान है, हमें तैयार रहने और सतर्क रहना होगा। यह मिला जुला आतंकवादी समूह एक साथ कई शहरों में हमले कर सकता है। हम इसके लिए तैयारी कर रहे हैं। इसलिए हम आतंकवाद निरोधक बलों और राज्य पुलिस बलों के साथ काम कर रहे हैं।

बताते चलें कि श्रीनगर स्थित सेना की 15वीं कोर के जनरल आफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रत साहा ने आइएस के बड़ी संख्या में युवकों को आकर्षित करने की क्षमता को चिंता का कारण बताते हुए कहा था कि घाटी में युवाओं को आतंकवाद के रास्ते से दूर रखना है तो उनकी ‘समृद्धि के अधिकार’ को सुनिश्चित करने के लिए ठोस प्रयास किए जाने की जरूरत है। आइएस के झंडे लहराए जाने की घटनाओं पर सुरक्षा एजंसियों को ध्यान देने की जरूरत है ताकि कश्मीर के युवाओं को आइएस के जाल में फंसने से रोका जा सके।

चौधरी ने कहा कि एनएसजी के पास देश और विदेश में उभरती सुरक्षा चुनौतयिों के बारे में जानकारी हासिल करने और इसकी पुष्टि करने के लिए कोई स्वतंत्र गुप्तचर ढांचा नहीं है। लिहाजा ये आशंकाए उनके संज्ञान में खुफिया एजेंसियों की ओर से लाई गईं हैं। आतंकवाद पहले से अधिक खतरनाक हो गया है। हमारी आशंका है कि मुंबई हमले के दौरान जो हुआ, वह महज एक झलक थी। इसलिए हमारा प्रयास यह सुनिश्चित करना है कि हम पहले से विचार करें और ऐसी किसी भी घटना से मुकाबले की तैयारी शुरू कर दें।

उन्होंने जोर देकर कहा कि वे देश को भरोसा दिला सकते हैं कि एनएसजी ऐसी किसी भी परिस्थिति का प्रभावी मुकाबला करने के लिए तैयार है। बल अपने जवानों को आइईडी की मदद से किए जाने वाले फिदायीन हमलों का मुकाबला करने का प्रशिक्षण मुहैया कराने पर विचार कर रहा है। हम एनएसजी में महिला कमांडो की संख्या बढ़ाने की कोशिश करेंगे जो फिलहाल 20 से भी कम है। कार्यक्रम में मौजूद केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इससे सहमति जताई। चौधरी ने कहा कि उन्होंने गृह मंत्रालय से बल के लिए विशेष उपकरणों की खरीद की प्रक्रिया में तेजी लाने का अनुरोध किया है।