नई दिल्ली। भारत ने यह जोर देते हुए कि ऐसी कोई समस्या नहीं जिसका समाधान ना हो सके कहा है कि वह पाकिस्तान से पैदा होने वाले आतंकवाद से निपटने के लिए प्रभावी प्रतिरोधक क्षमता रखते हुए उसके साथ अपने सभी मुद्दे का समाधान बातचीत से करना चाहेगा।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत क्षेत्रीय संप्रभुता पर कोई समझौता किए बिना आर्थिक प्रगति करने वाले चीन के साथ मैत्री संबंध रखना चाहता है। उन्होंने पाकिस्तान की ओर से हाल में किए गए संघर्षविराम उल्लंघनों की पृष्ठभूमि में कहा कि हम अपनी सभी समस्याओं को आपसी बातचीत से सुलझाना चाहते हैं। मैं नहीं समझता कि ऐसी कोई भी समस्या है जिसका समाधान बातचीत से नहीं हो सकता।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डोभाल ने आतंकवाद पर बात करते हुए कहा कि ‘यूएन कंप्रेहेंसिव कन्वेंशन आॅन इंटरनेशनल टेररिज्म’ (सीसीआइटी) के परिणाम जल्द निकलने चाहिए जिसे पाकिस्तान जैसे देशों ने बाधित कर रखा है। अंतरराष्ट्रीय मंच पर सम्मेलनों के अलावा कुछ नहीं हुआ है। संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव लंबित है। हमारे पास यूएन कनवेंशन आफ टेररिज्म नहीं है।
उन्होंने कहा कि लोग आतंकवाद को परिभाषित नहीं कर पाए। पाकिस्तान कहता है कि स्वतंत्रता सेनानियों को आतंकवादी नहीं माना जाना चाहिए। इस पर सवाल उठाते हुए कि आतंकवाद पर संयुक्त राष्ट्र संधि क्यों नहीं हो सकती, उन्होंने कहा कि ऐसा कदम दो देशों को इस बारे में अधिक जिम्मेदार बनाएगा कि एक देश को क्या कदम उठाने चाहिए और उस पर एक सामूहिक प्रतिक्रिया किस तरह से हो सकती है।
उन्होंने कहा कि क्या हम प्रत्यर्पण कानूनों पर विचार कर सकते हैं जो हमें इस प्रक्रिया में मदद कर सकते हैं। यह तेजी से बढ़ता स्वरूप है और कार्रवाई 24 से 48 घंटे में होनी चाहिए। नहीं तो इसका कोई मतलब नहीं। डोभाल ने अपने बिंदु पर जोर डालने के लिए अमेरिका में 9/11 हमले का उल्लेख किया और कहा कि 13 वर्षों के दौरान घरेलू मोर्चे और विभिन्न देशों में आतंकवाद और खतरों से निपटने के लिए काफी कुछ हुआ है लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ भी पर्याप्त कारगर नहीं हुआ।
