सरकार ने सोमवार को पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया। जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया। विपक्ष से लेकर पद्म भूषण से सम्मानित इतिहासकार रामचंद्र गुहा तक सब ने इसे लेकर कटाक्ष किया। गुहा ने पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का जिक्र करते हुए कहा कि अब तीन तरह के जज होते हैं, तीसरा जो कानून और गृह मंत्री दोनों को जानता हो।
गुहा ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ट्वीट कर लिखा “2012 में, राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने टिप्पणी की थी ‘दो प्रकार के न्यायाधीश हैं- एक जो कानून को जानता है, दूसरा जो कानून मंत्री को जानता है।’ अब तीन प्रकार के न्यायाधीश हैं; तीसरा जो कानून और गृह मंत्री दोनों को जानता हो।”
कांग्रेस के भी इस मामले में गोगोई पर हमला बोला है। वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने इसे लेकर मंगलवार को दावा किया कि गोगोई न्यायपालिका और खुद की ईमानदारी से समझौता करने के लिए याद किए जाएंगे। सिब्बल ने ट्वीट किया, “न्यायमूर्ति एच आर खन्ना अपनी ईमानदारी, सरकार के सामने खड़े होने और कानून का शासन बरकरार रखने के लिए याद किए जाते हैं।” उन्होंने दावा किया कि न्यायमूर्ति गोगोई राज्यसभा जाने की खातिर सरकार के साथ खड़े होने और सरकार एवं खुद की ईमानदारी के साथ समझौता करने के लिए याद किए जाएंगे।
In 2012, Arun Jaitley, then leader of the Opposition in the Rajya Sabha, remarked, “There are two kinds of judges–one who knows the law, the other who knows the Law Minister”.
Now there are three kinds of judges; the third kind knowing the Law Minister AND the Home Minister.— Ramachandra Guha (@Ram_Guha) March 17, 2020
पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्यसभा के लिए किया मनोनित किया है। इस संबंध में एक अधिसूचना गृह मंत्रालय द्वारा जारी की गई। अधिसूचना में कहा गया, “भारत के संविधान के अनुच्छेद 80 के खंड (1) के उपखंड (ए), जिसे उस अनुच्छेद के खंड (3) के साथ पढ़ा जाए, के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए राष्ट्रपति को श्री रंजन गोगोई को राज्यसभा में एक सदस्य का कार्यकाल समाप्त होने से खाली हुई सीट पर मनोनीत करते हुए प्रसन्नता हो रही है।”
यह सीट केटीएस तुलसी का राज्यसभा का कार्यकाल पूरा होने से खाली हुई थी। गोगोई 17 नवंबर 2019 को उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। गोगोई ने उस पांच न्यायाधीशों की पीठ का नेतृत्व किया जिसने गत वर्ष नौ नवम्बर को संवेदनशील अयोध्या मामले पर फैसला सुनाया था। वह उसी महीने बाद में सेवानिवृत्त हो गए थे। गोगोई ने साथ ही सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश और राफेल लड़ाकू विमान सौदे संबंधी मामलों पर फैसला देने वाली पीठों का भी नेतृत्व किया।