बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) के जवान इंडो-बांग्ला बॉर्डर पर अब गोरक्षक की भूमिका निभा रहे हैं। जवानों के जिम्मे बांग्लादेश बॉर्डर पर गायों की तस्करी रोकने की जिम्मेदारी है। बीएसएफ के एक सीनियर अधिकारी ने यह जानकारी दी है। हिंदुस्तान टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, हजारों गायों को तस्करी के जरिए बांग्लादेश भेजा जाता है लेकिन बीएसएफ की मुस्तैदी के बाद गायों की तस्करी पर रोक लगाई जा रही है।
गायों को तस्करों से बचाकर बीएसएफ के बॉर्डर आउटपोस्ट (BoP) में रखा जा रहा है। कुछ महीने पहले 37,000 मवेशी थे जिनकी बीएसएफ देखभाल कर चुका है। अधिकारी ने कहा है कि इस मुद्दे पर गृह मंत्रालय के साथ भी बातचीत हुई है।’
एक अन्य अधिकारी ने कहा ‘मौजूदा बॉर्डर आउटपोस्ट पर आवारा पशु की संख्या पहले से कम है। हमारे पास अभी 2,100 मवेशी हैं। इन मवेशियों में से अधिकांश असम-बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल-बांग्लादेश सीमा की बॉर्डर आउटपोस्ट में हैं। हम अपनी तरफ से मवेशियों की देखभाल के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि इससे सेना प्रभावित हो रही है।’
मालूम हो कि भारत की गायों को सीमा के इस पार से उस पार पहुंचाया जाता है। तस्कर इसके लिए नदी का सहारा लेते हैं। वह गायों को नदी के जरिए सीमा पार करवाते हैं। हालांकि इस दौरान बीएसएफ के जवानों पर हमले भी होते हैं। कई ऐसे मामले सामने आए हैं जब तस्करों पर कार्रवाई करने के दौरान बीएसफ जवान पर हमले किए गए। बीएसएफ (मेघालय फ्रंटीयर) ने बीते साल 10,000 गायों को तस्करों से जब्त किया था।
इनकी कीमत करीब 16 करोड़ रुपए आंकी गई। इनके साथ 176 अवैध प्रवासी भी इंटरनेशनल बॉर्डर से गिरफ्तार किए गए। बीएसएफ ने बीते हफ्ते यह जानकारी दी थी। मवेशियों को इतना भारी संख्या में जब्त करना दिखाता है कि 2019 के दौरान सीमा पर तस्करी के प्रयासों में वृद्धि हुई है।