भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) परिषद की मंगलवार को 55वीं बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने की। इस बैठक में तय किया गया कि आइआइटी में चार वर्षीय एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम (बीएड) शुरू किया जाएगा। इसके अलावा आइआइटी में /अनुसूचित जाति व /अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को अधिक सहायता उपलब्ध कराने का भी निर्णय लिया गया।
बैठक में प्रधान ने कहा कि प्रमुख आइआइटी का सभी प्रकार के भेदभाव के प्रति बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करने की नीति होनी चाहिए और विद्यार्थियों को पर्याप्त सहायता मुहैया कराई जानी चाहिए। प्रधान ने सभी 23 प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थानों की शीर्ष समन्वय निकाय आइआइटी परिषद की बैठक में यह भी कहा कि संस्थानों के विद्यार्थियों को नए भारत का चेहरा होना चाहिए और वैश्विक नागरिक बनने के लिए तैयार रहना चाहिए। परिषद ने आइआइटी विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कई कदमों पर चर्चा की।
इसमें एक मजबूत शिकायत निवारण प्रणाली, मनोवैज्ञानिक परामर्श सेवाओं को बढ़ाने, दबाव कम करने और विद्यार्थियों के बीच विफलता और अस्वीकृति के डर को कम करने के महत्त्व पर प्रकाश डालने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। परिषद में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदायों से संबंधित विद्यार्थियों के लिए समर्थन बढ़ाने पर सहमति जताई गई। इसने पीएचडी छात्राओं को सहायता की अवधि एक अतिरिक्त वर्ष के लिए बढ़ाने का भी संकल्प लिया।
दो साल के अंतराल के बाद आयोजित आइआइटी परिषद की बैठक में अहम निर्णय लिए गए। पिछली बैठक महामारी को देखते हुए फरवरी 2021 में डिजिटल तरीके से आयोजित की गई थी। प्रधान की अध्यक्षता में यह आइआइटी परिषद की पहली बैठक भी है। परिषद आइआइटी में प्रशासनिक और अन्य प्रमुख मामलों की देखभाल करती है। इसमें सभी 23 आइआइटी के निदेशक और अध्यक्ष शामिल होते हैं।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) परिषद की 55वीं बैठक में तय किया गया कि आइआइटी में चार वर्षीय एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम (बीएड) शुरू किया जाएगा। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने की। इसके अलावा आइआइटी में /अनुसूचित जाति व /अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को अधिक सहायता उपलब्ध कराने का भी निर्णय लिया गया।