पेशेवर या फिर तकनीकी कोर्स के लिए एजुकेशन लोन लेना अब मुश्किल हो जाएगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि जिन शैक्षणिक संस्थान में छात्र-छात्राओं को बैंक से लोन मिलता था, उनकी संख्या धीमे-धीमे कम हो रही है या फिर वहां ऋण संबंधी शर्तें पहले के मुकाबले कठिन की जा रही हैं। इसी बीच, मानव संसाधन और विकास मंत्रालय के दिशा-निर्देश आए थे कि नेशनल एसेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल (नैक) द्वारा मान्यता प्राप्त कॉलेज, विश्वविद्यालयों व केंद्र द्वारा सहायता पाने वाले तकनीकी संस्थानों में ही दाखिला पाने वालों को मॉडल एजुकेश्नल लोन स्कीम का फायदा मिल पाएगा।
‘टीओआई’ की एक रिपोर्ट में आगे कहा गया कि नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रेडिटेशन (एनबीए) द्वारा मान्यता प्राप्त प्रोग्राम्स/कोर्सों में दाखिला लेने वालों को भी लोन की सुविधा मिलती रहेगी। बता दें कि नैक के संशोधित एक्रेडिटेशन फ्रेमवर्क के तहत देश में ऐसी मान्यता वाले सिर्फ 59 विवि और 997 कॉलेज हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में शिक्षा के लिए लोन लेने में काफी दिक्कतें आएंगी।
मंत्रालय के दिशा निर्देश कहते हैं कि इनके अलावा कोई भी प्रोफेशनल या फिर टेक्निकल कोर्स में एजुकेशन लोन के लिए जरूरी होगा कि जहां से नर्सिंग या फिर मेडिकल ट्रेड का वह कोर्स कराया जा रहा है, वह क्रमशः नर्सिंग काउंसिल ऑफ इंडिया और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया सरीखी नियामक संस्थाओं से मान्यता प्राप्त हो। इन निर्देशों में यह भी जिक्र है कि जिन छात्र-छात्राओं के अभिभावक साढ़े चार लाख रुपए (सालाना) तक कमाते हैं, वे ही इंटरेस्ट सब्सिडी पाने के हकदार हो सकते हैं। कंपनियां ये लोन बिना किसी थर्ड पार्टी की गारंटी के देती है, जिसकी अधिकतम सीमा साढ़े सात लाख रुपए है।
वहीं, दूसरे दृष्टिकोण से देखें तो एक्पर्ट्स बताते हैं कि अक्सर बैंक उन छात्रों को लोन देते हैं या देना चाहते हैं, जिनकी नौकरी लगने की अधिक संभावनाएं होती हैं। बैंकरों का मानना होता है कि नैक और एनबीए द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थानों और विभागों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के कैंपस प्लेसमेंट के दौरान नौकरी पाने की ज्यादा संभावना होती है।
शिक्षा ऋण पाने के लिए अब विद्या लक्ष्मी पोर्टल पर जाकर बैंकों के पास आवेदन देना होता है। बीते चार सालों में बैंकों ने मिले एक लाख 44 हजार आवेदनों में लगभग 42 हजार 700 छात्र-छात्राओं को पोर्टल के जरिए लोन मुहैया कराया था। शिक्षा लोन के प्रति जागरूकता फैलाने वाली संस्था एजुकेशन लोन टास्क फोर्स के के.श्रीनिवासन के हवाले से रिपोर्ट में आगे बताया गया, “बैंक एजुकेशन लोन्स को अधिक तवज्जो नहीं दे रहे हैं। बैंकर्स और छात्रों के बीच इस मसले पर अधिक जानकारी भी नहीं है, जबकि लोन देने की प्रक्रिया की ठीक से निगरानी भी नहीं की जा रही है।”