2014 में लाल किले की प्राचीर से अपने पहले संबोधन में स्वतंत्रता दिवस पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र निर्माण के लिए सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) की घोषणा की थी, जिसमें लोकसभा सांसदों से गुजारिश की गई थी कि साल 2016 तक अपने या अपने क्षेत्र के एक गांव” को एक आदर्श गांव बनाएं। पीएम ने कहा था कि साल 2016 के बाद दो और गांवों का चयन करें और 2019 के बाद कम से कम पांच मॉडल गांवों का चयन कर विकास करें।” उन्होंने राज्यसभा सांसदों से भी कहा था कि वे किसी एक गांव को गोद लें। पीएम ने कहा था कि अगर हम भारत के प्रत्येक जिले में एक मॉडल गांव प्रदान करते हैं, तो आसपास के गांवों स्वाभाविक तौर पर प्रेरित होंगे और आदर्श ग्राम के मॉडल का अनुपालन करेंगे।

योजना शुरू होने के पांच साल बाद सरकारी आंकड़े बताते हैं कि सांसदों को दिलचस्पी इसमें नहीं रही। मौजूदा संसद के दो तिहाई से ज्यादा सांसदों ने योजना के चौथे चरण में अभी तक किसी भी ग्राम पंचायत का चयन नहीं किया है। मौजूदा समय में संसद सदस्यों की संख्या 790 है। इसमें चयनित और नामांकित दोनों शामिल हैं।

पीएम मोदी के संबोधन के करीब दो महीने बाद 11 अक्टूबर, 2014 को शुरू हुए सांसद आदर्श ग्राम योजना के पहले चरण में 703 सांसदों ने गांवों को गोद लिया था लेकिन दूसरे चरण में यह संख्या घटकर 497 हो गई। तीसरे चरण में 301 सांसदों ने गांवों को विकसित करने के लिए गोद लिया। चौथे चरण में यह संख्या घटकर 252 पर पहुंच गई। यानी पांच साल में 451 सांसदों की संख्या घट गई। कुल चार चरणों में अब तक मात्र 1753 ग्राम पंचायत ही गोद लिए जा सके हैं।

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2019 के अंत तक 252 सांसदों ने चौथे चरण में सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत ग्राम पंचायतों को गोद लिया है। इनमें से 208 लोकसभा के सांसद हैं, जबकि 44 राज्यसभा के सांसद हैं। लोकसभा में कुल 545 सांसद हैं। इनमें से दो मनोनीत हैं। इसी तरह राज्यसभा में 245 सांसद हैं जिनमें 12 मनोनीत हैं। 1 जनवरी 2020 के आंकड़ों के मुताबिक राज्यसभा में 240 सांसद हैं, जबकि पांच सीटें खाली हैं।