देश में पोषण को लेकर टॉप के तीन पैनलों की कोरोना काल में एक भी बैठक नहीं हुई है। इन समितियों की बैठक तिमाही में एक बार होनी थी। ‘द हिंदू’ की रिपोर्ट में कहा गया है कि भूख और कुपोषण से लड़ने के लिए ये तीन समितियां बनाई गई थीं लेकिन कोरोना संकट के दौरान एक बार भी सदस्य नहीं मिले। इसपर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि यह मोदी जी की प्राथमिकता नहीं है।
दिग्विजय सिंह ने एक ट्वीट में कहा, ‘आश्यर्च की बात है। गरीब, वंचित और कुपोषित मोदी जी की प्रथमिकता सूची में नहीं हैं। किसान विरोधी कानूनों द्वारा अपने दोस्तो को सुविधा देना ही उनकी प्राथमिकता है।’
अखबार ने अपनी रिपोर्ट में इसी समिति के एक सदस्य चंद्रकांत एस पांडव के हवाले से लिखा, ‘मुझे दुख है कि स्थिति खराब से बहुत खराब हो गई है। भारत का न्यूट्रिशन सिस्टम ढह गया है। इस स्थिति से बचा जा सकता है।’ बता दें कि चंद्रकांत एस पांडव को ‘आयोडीन मैन ऑफ इंडिया’ के नाम से जाना जाता है। एग्जिक्यूटिव कमिटी के एक दूसरे सदस्य ने कहा कि न्यूट्रिशन मिशन के अंतरगत मोदी सरकार ने जो कुछ निर्धारित किया था, उसका पालन आवश्यक हो गया है। दोनों ही सदस्यों ने कहा कि उन्होंने अपनी बात जाहिर की है और अर्जेंट मीटिंग की मांग की है।
न्यूट्रिशन की तीन टॉप कमिटी , नीति आयोग के चेयरमैन की अध्यक्षता वाली नैशनल न्यूट्रीशन काउंसिल, महिला एवं बाल विकास के सचिव की अध्यक्षता वाली नैशनल न्यूट्रिशन मिशन और नैशनल टेक्निकल बोर्ड ऑन न्युट्रिशन है। इसके अध्यक्ष नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल हैं। दिसंबर 2017 में कैबिनेट की नैशनल न्यूट्रिशन मिशन को मंजूरी के बाद ये तीनों कमिटी बनाई गई थीं। इसके जरिए अलग-अलग राज्यों की पोषण से संबंधित व्यवस्थाओं की समीक्षा की जानी थी और योजनाओं का ठीक तरीके से क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाना था।
एमएनसी की आखिरी बैठक अक्टूबर 2019 में हुई थी जबकि ईसी की बैठक फरवरी 2020 में हुई। इसकी डीटेल नीति आयोग की वेबसाइट पर है। एनटीबीएन की आखिरी बैठक अगस्त 2018 में हुई थी। इस तरह न्यूट्रिशन मिशन की पूरी योजना ठंडे बस्ते में जा चुकी है।