दिल्ली-कामाख्या नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस के छह डिब्बे बुधवार रात को बिहार के बक्सर जिले के रघुनाथपुर स्टेशन के पास पटरी से उतर गए थे। जिससे कम से कम चार लोगों की मौत हो गई और 70 अन्य घायल हो गए। पटरी से उतरे डिब्बों, टूटे हुए शीशों और खून के निशान एक बार फिर कोरोमंडल एक्सप्रेस की उस दर्दनाक घटना की याद दिला रहे थे जिसमें 250 से ज्यादा मौतें हुई थीं।
यात्रियों ने क्या कहा?
कामाख्या जाने वाली ट्रेन के गार्ड विजय कुमार को याद है कि ट्रेन के पटरी से उतरने के बाद वह बेहोश हो गए थे। वह पूरे मंजर को याद करते हुए बताते हैं,”मैं अपने कागजी काम में व्यस्त था, जब मुझे एहसास हुआ कि ड्राइवर ने अचानक ब्रेक लगा दिया है। इसके बाद कुछ झटके लगे और मैं बेहोश हो गया। बाद में मैंने खुद को पास के खेतों में पाया जहां गांव के लोग मेरे चेहरे पर पानी की बूंदें छिड़क रहे थे।”
रेलवे के मुताबिक सभी यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी गई है क्योंकि गांव के लोग क्रेनों और धातु काटने वाली मशीनों को काम करते हुए देख रहे हैं, इससे भीड़ बढ़ रही है। रेलवे का मानना है इस घटना के बाद अब पटरियों को फिर से तैयार करने में कुछ दिन लग सकते हैं, हालांकि बहुत ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।
मधेपुरा जिले के 64 वर्षीय निवासी महेंद्र यादव जो AC 3-टियर कोच में यात्रा कर रहे थे। वह ट्रेन के पटरी से उतरने के बाद की सिसकियों को याद करते हुए कहते हैं, “यह एक ऐसा अनुभव था जिसे मैं कभी नहीं भूल सकता। अचानक हम सभी जोर से अपनी-अपनी बर्थ से नीचे गिरने लगे, हममें से कोई भी समझ नहीं सका यह क्या हो रहा है।” कहा जा रहा है कि स्थानीय लोग इस दौरान काफी मददगार साबित हुए और प्रशासन के पहुंचने से पहले ही घायलों को निकाल लिया गया।
नासिर ने कहा, “हम बुधवार की सुबह ट्रेन में चढ़े थे, यह एक थका देने वाली यात्रा थी और जल्दी खाना खाने के बाद हम सोने चले गए। ट्रेन अगली सुबह जल्दी किशनगंज पहुंच जाती। अचानक मुझे झटका लगा और मैं अपनी बर्थ से नीचे गिर गया, हम कुछ समझ ही नहीं पाए।” नासिर को हल्की चोटें आई हैं लेकिन उनके भाई जाहिद ने मौके पर ही दम तोड़ दिया।
