याकूब को फांसी क्या हो गई कि एक के बाद एक सियासी चाल चली जाने लगीं। जहां एक ओर देश के कई नेता याकूब की फांसी रोकने की कवाद करते रहे लेकिन मुबंई ब्लास्ट में पीड़ित उन परिवार वालों का भी सवाल था, जो सालों से देश की न्याय व्यवस्था से अपने इंसाफ की आस लगाए बैठे हुए थे।
लेकिन अब इन इन पीड़ितों को न्याय मिल गया तो राजनीति के गलियारों में भी सियासत गरमाने लगी है। जी हां, फांसी के ठीक एक दिन वाल समाजवादी पार्टी के महाराष्ट्र उपाध्यक्ष मोहम्मद फारुख ने याकूब की पत्नी को सांसद बनाने की मांग की है।
उन्होंने सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव को इसके लिए चिट्ठी भी लिखी है। फारूक ने अपनी चिट्ठी में लिखा कि मुंबई बम धमाके के मामले में याकूब के साथ उसकी पत्नी को भी अरेस्ट किया गया था। हालांकि, फिर राहीन को बरी कर दिया गया, लेकिन तब तक वह कई सालों तक जेल में रही।
उन्होंने लिखा कि आप एक नेता है और आप गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए जाने जाते हैं। मेरे मुताबिक याकूब की पत्नी राहीन को इस समय मदद की जरूरत है और बहुत सारी इस देश में उसी की तरह दयनीय हालत में अपनी जिंदगी गुजार रही हैं। हमें इन औरतों की मदद करनी चाहिए।
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फारूक ने कहा कि आज मुस्लिमों को वोट बैंक की तरह देखा जाता है और मुख्य राजनीतिक पार्टियों ने उन्हें साइड लाइन कर दिया है। इसलिए हमें साथ देना चाहिए और राहीन याकूब को संसद सदस्य बनाकर असहाय लोगों की आवाज बनने देना चाहिए।
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आपको बता दें कि ये वो शब्द हैं जो फारुख ने अपनी चिट्टी में लिखे हैं। लेकिन सोचने की बात ये भी है कि याकूब के परिवार वाले फिर भी कितने खुशनसीब हैं जिन्हें फांसी के बाद उसका पूरा शव तो मिला लेकिन जरा उनके बारे में सोचो जिनके ब्लास्ट में चिथड़े उड़ गए थे।
फोटो में देखें: याकूब मेमन का फांसी तक का सफर…
इन नेताओं को याकूब की पत्नी पर बडां रहम आ रहा लेकिन किसी ये नहीं सोचा कि ब्लास्ट में मारे गए लोगों के परिवार भी हैं, जो असहाय औऱ निर्दोष भी हैं। उन पर किसी का रहम औऱ करम नहीं बरसा।