डीजे से हने वाले ध्वनि प्रदूषण से जुड़ी एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक गंभीर टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने कहा कि जब गणपति उत्सव का डीजे हानिकारक हो सकता है तो ईद मीलाद उन-नबी के जुलूस का डीजे क्यों नहीं?
हाई कोर्ट ने कहा कि डीजे का जो प्रभाव गणपति उत्सव में होगा, वही दूसरे कार्यक्रमों में भी होगा। यह टिप्पणी बॉम्बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस अमित बोरकर की खंडपीठ ने की है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में तेज ध्वनि से होने वाले नुकसान को अंडरलाइन करते हुए राहत दिलाने की गुहार की थी।
खंडपीठ ने हाई डेसीबल साउंड सिस्टम और खतरनाक लेजर बीम पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत द्वारा दायर याचिका पर अपने 20 अगस्त के आदेश का हवाला दिया। साथ ही कहा कि यह मामला व्यवसायियों के बीच उठाया गया था इसलिए याचिका समाप्त हो गई।
DJ दूसरे त्योहार के लिए भी हानिकारक
ईद मीलाद उन-नबी जुलूस के दौरान डीजे, डांस, म्यूजिक और लेजर लाइट के इस्तेमाल पर बैन लगाने की याचिका की सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को टिप्पणी की कि अगर डीजे संगीत गणेश चतुर्थी के लिए हानिकारक है, तो यह दूसरे त्यौहार के लिए भी हानिकारक है।
पुणे के चार बिजनेसमैन द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL) में कहा गया है कि न तो कुरान और न ही हदीस (पैगंबर की परंपरा) ने त्योहार के लिए डीजे संगीत और लेजर लाइट के उपयोग को निर्धारित किया है। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि धार्मिक त्योहारों में ध्वनि-प्रदूषण नियमों का पालन किया जाना चाहिए और कोई भी धर्म या समुदाय डीजे संगीत और स्पीकर का उपयोग करने के संवैधानिक अधिकार का दावा नहीं कर सकता है।
PIL दायर करने से पहले रिसर्च करना चाहिए- बॉम्बे हाई कोर्ट
पीठ ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि क्या लेजर लाइटें हानिकारक हैं, यह दिखाने के लिए कोई वैज्ञानिक अध्ययन है। न्यायमूर्ति उपाध्याय ने कहा, ”मोबाइल टावरों को लेकर भी काफी हंगामा मचा हुआ है। क्या आप इससे गुज़रे हैं? जब तक यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध नहीं हो जाता कि ये लेजर किरणें नुकसान पहुंचाती हैं, तब तक हम इस मुद्दे पर फैसला कैसे करेंगे। जनहित याचिका दायर करने से पहले आपको बुनियादी शोध करना चाहिए।”
जस्टिस ने आगे कहा, “आपको प्रभावी निर्देश जारी करने में अदालत की सहायता करनी चाहिए। हम विशेषज्ञ नहीं हैं। अलग-अलग विचार हैं। तुम लोग सोचते हो कि हम हर बीमारी का इलाज हैं। जाओ और शोध में गहराई से उतरो। अगर डीजे गणेश चतुर्थी के लिए हानिकारक है तो यह ईद के लिए भी हानिकारक है।”
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ध्वनि प्रदूषण पर हाई कोर्ट का निर्देश
पीठ ने कहा कि उसके 20 अगस्त के आदेश के अनुसार, ध्वनि प्रदूषण पर उच्च न्यायालय के 2016 के निर्देशों की किसी भी जानबूझकर अवज्ञा के मामले में पीड़ित पक्ष कानून के अनुसार उचित अदालत से संपर्क कर सकते हैं।
गौरतलब है कि अगस्त में पंचायत की याचिका में ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए नियमों को लागू करने में महाराष्ट्र सरकार और पुलिस पर विफलता का आरोप लगाने के बाद, पीठ ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता के पास अन्य उपाय उपलब्ध थे जैसे कि पुलिस सहित संबंधित अधिकारियों को अभ्यावेदन देना।
(इनपुट- इंडियन एक्सप्रेस)