ग्रेटर नोएडा में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के निर्माण का काम तेजी से पूरा किया जा रहा है। अगले साल यहां फ्लाइट शुरू हो जाएंगी। इस एयरपोर्ट में हाईटेक सिस्टम लगाया जा रहा है। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS) और प्रिसीजन एप्रोच पाथ इंडिकेटर (PAPI) इंस्टाल कर दिया गया है। इससे घने कोहरे और भारी बारिश में भी विमान लैंड कर सकेंगे। यहां 3.9 किलोमीटर का रनवे बनकर तैयार हो चुका है। एयरपोर्ट की टर्मिनल बिल्डिंग का ढांचा भी खड़ा कर दिया गया है।
क्या होता है यह सिस्टम?
किसी भी फ्लाइट की लैंडिंग के लिए यह सबसे हाईटेक सिस्टम है। इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम यानी ILS एक रेडियो नेविगेशन तकनीक है। इस तकनीक में पायलट कम विजिबिलिटी में भी फ्लाइट की लैंडिंग कर सकता है। वहीं प्रिसिजन अप्रोच पाथ इंडिकेटर यानी PAPI एक लाइटिंग सिस्टम है, जो रनवे के किनारे स्थित होता है और पायलटों को उनके लैंडिंग डायरेक्शन के बारे में सही संकेत देता है।
बता दें कि नोएडा अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट को पूरी तरह से डिजिटल एयरपोर्ट बनाया जाएगा। इसमें इनडोर नेविगेशन, पैसेंजर फ्लोर मैनेजमेंट, स्मार्टफोन द्वारा चेक इन, बैगेज ड्रॉप और सभी चेकप्वाइंट पर डिजिटल प्रोसेसिंग जैसे टेक्नोलॉजीज का इस्तेमाल किया जा रहा है।
अप्रैल में शुरू हो सकती हैं फ्लाइट
जानकारी के मुताबिक नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से अप्रैल में फ्लाइट का संचालन शुरू हो सकता है। 17 अप्रैल से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय विमान सेवा का परिचालन भी शुरू कर दिया जाएगा। 17 अप्रैल 2025 से यहां टिकट की बुकिंग शुरू हो सकेगी। अंतरराष्ट्रीय विमान सेवा का टिकट 90 दिन पहले किए जा सकेंगे वहीं घरेलू विमान सेवा के टिकट डेढ़ महीने पहले बुक किए जा सकेंगे। शुरुआत में एक दिन में 60 से ज़्यादा विमानों की आवाजाही हो सकेगी। नोएडा अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट का उत्तर प्रदेश सरकार से 40 साल के लिए कॉन्सेशन समझौता हुआ है। यह करार 1 अक्टूबर 2021 से शुरू हुआ है। एयरपोर्ट का पहला चरण 1,334 हेक्टेयर में फैला है।