अमेरिकी शिक्षाविद् रिचर्ड थेलर को इस साल अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार मिला है। पुरस्कार का ऐलान होने के बाद उनका नाम सोशल मीडिया पर छा गया। इसकी एक बड़ी वजह थेलर का नवंबर में दिया गया एक बयान भी है। दरअसल, भारत में नोटबंदी का ऐलान होने के बाद उन्होंने इसका समर्थन करते हुए एक ट्वीट किया था। थेलर को नोबेल मिलने की घोषणा होते ही भारतीय सोशल मीडिया पर उनका ट्वीट दोबारा से छा गया।
8 नवंबर को किए गए ट्वीट में थेलर ने नोटबंदी की घोषणा की खबर को टैग करते हुए लिखा था, ‘यही वह पॉलिसी है, जिसके समर्थन में मैं लंबे वक्त से रहा हूं। यह कैशलेस व्यवस्था की तरफ पहला कदम है। भ्रष्टाचार को रोकने की दिशा में अच्छी शुरुआत।’बता दें कि पिछले साल नवंबर में भारत सरकार ने 1000 और 500 रुपये के नोटों को बैन कर दिया था। सरकार का मकसद ब्लैकमनी पर रोकथाम और कैशलेस इकॉनमी को बढ़ावा देना था।
यह ट्वीट किया था थेलर ने
This is a policy I have long supported. First step toward cashless and good start on reducing corruption. https://t.co/KFBLIJSrLr
— Richard H Thaler (@R_Thaler) November 8, 2016
केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों और समर्थकों ने भी इस ट्वीट को हाथो हाथ लिया। पीयूष गोयल, गिरिराज सिंह के अलावा बीजेपी समर्थकों ने इस ट्वीट को जमकर शेयर किया। हालांकि, थेलर ने एक ट्वीट और किया था। एक सोशल मीडिया ने यूजर ने जब रॉबर्ट को जानकारी दी कि भारत सरकार ने 2 हजार रुपये का नोट बाजार में उतारा है, उन्होंने हैरानी जताते हुए लिखा था, ‘सच में! अरे नहीं।’ मोदी सरकार विरोधी अब उनके दूसरे ट्वीट के जरिए केंद्र सरकार को निशाने पर ले रहे हैं।
really? Damn.
— Richard H Thaler (@R_Thaler) November 8, 2016
1945 में अमेरिका के ईस्ट ऑरेंज में पैदा हुए अर्थशास्त्री थेलर को नोबेल पुरस्कार अर्थशास्त्र और मनोविज्ञान के अंतर को पाटने पर किए गए उनके काम के लिए दिया गया है। पुरस्कार के निर्णायक मंडल ने एक बयान में कहा कि थेलर का अध्ययन बताता है कि किस प्रकार सीमित तर्कसंगता, सामाजिक वरीयता और स्व-नियंत्रण की कमी जैसे मानवीय लक्षण किसी व्यक्ति के निर्णय को प्रक्रियागत तौर पर प्रभावित करते हैं। इससे बाजार के लक्षण पर भी प्रभाव पड़ता है। थेलर को उनकी ‘अर्थशास्त्र के मनोविज्ञान की समझने’ पर अध्ययन के लिए 11 लाख डॉलर की राशि इनाम के तौर पर दी जाएगी।

