Kerala High Court: केरल हाई कोर्ट ने एक महिला की मौत के मामले में अहम टिप्पणी की है। इस मामले में महिला का शव एक लॉज के कमरे में नग्न अवस्था में लटका हुआ पाया गया था और कमरा बाहर से बंद था। न्यायमूर्ति पीबी सुरेश कुमार और न्यायमूर्ति सी. प्रथीप कुमार की बेंच ने इस मामले में सुनवाई की। बेंच ने पुलिस सर्जन की ओर से दिए गए सबूतों को लेकर कहा कि भारतीय महिलाएं जब आत्महत्या करती हैं तब वे नग्न अवस्था में नहीं होती हैं।
कोर्ट ने पत्नी की हत्या के लिए आईपीसी की धारा 302 के तहत पति को दी गई आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा। कोर्ट ने अपने फैसले में आत्महत्या की संभावना को सिरे से खारिज कर दिया और पति की सजा को बरकरार रखा।
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आत्महत्या का नहीं हत्या का है मामला
कोर्ट ने कहा कि हम स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर के बयान के साथ-साथ PW20 के साक्ष्य से सहमत हैं कि कोई भी महिला नग्न अवस्था में आत्महत्या नहीं करेगी। Ext. P9 की तस्वीरों में मृतक महिला नग्न अवस्था में लटकी हुई मिली थी कि और इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि यह आत्महत्या का नहीं हत्या का केस है।
पत्नी के चरित्र पर संदेह का आरोप
अभियोजन पक्ष ने कहा था कि इस मामले में आरोपी ने अपनी पत्नी के चरित्र पर संदेह किया और उसे फांसी पर लटकाकर मार डाला। पुलिस ने इस मामले की जांच की और उसे लगा कि यह मामला शादी के बाद होने वाले किसी लड़ाई झगड़े का है। लेकिन जांच में पता चला कि यह हत्या का मामला है तो इसमें धारा 302 को भी जोड़ा गया।
अभियुक्त के वकील ने कोर्ट के सामने दलील दी थी कि इस मामले में कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं था। वकील ने तर्क दिया था कि अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित नहीं कर पाया है और मेडिकल सबूतों ने भी आत्महत्या की संभावना को पूरी तरह से खारिज नहीं किया है। लेकिन मामले में सुनवाई के बाद अदालत ने कहा कि मेडिकल सबूतों से पता चलता है कि यह मौत से पूर्व फांसी लगाने का मामला था।
इसके अलावा कोर्ट ने पुलिस सर्जन की ओर से दिए गए इस बयान पर भी भरोसा किया कि महिलाएं तब तक नग्न अवस्था में आत्महत्या नहीं करतीं, जब तक कि वे मानसिक रूप से डिस्टर्ब ना हों।