केन्द्रीय विद्यालय संस्थान (केवीएस) ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को जानकारी दी कि सत्र के बीच में जर्मन की जगह संस्कृत लेने वाले छात्रों की वर्तमान शैक्षणिक सत्र (2014-15) में तीसरी भाषा की परीक्षा नहीं होगी।
केवीएस द्वारा इस संबंध में हलफनामा दायर किया गया। शीर्ष अदालत के आज एक याचिका पर सुनवाई करने की संभावना है जिसमें तीसरी भाषा के तौर पर जर्मन को हटाने के केन्द्र के फैसले पर सवाल किया गया।
केवीएस ने अपने हलफनामे में कहा कि केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को भी उसके फैसले के बारे में जानकारी दी गई जो 27 अक्तूबर 2014 को उसकी 99वीं बैठक में किया गया था।
अपने फैसले के समर्थन में केवीएस ने अपने हफलनामे में सीबीएसई के साथ बातचीत नत्थी की। यह हफलनामा और नत्थी की गई सामग्री केवी छात्रों के माता पिताओं के एक समूह की ओर से पेश अधिवक्ता रीना सिंह को दी गई।
सीबीएसई को भेजे गये केवीएस के पत्र में कहा गया कि आठवीं कक्षा में तीसरी भाषा के लिए शामिल होने से छात्रों को छूट देने की यह व्यवस्था बोर्ड द्वारा तय अध्ययन योजना के विरोधाभासी है।
केवीएस के पत्र में कहा गया कि उम्मीद है कि सभी छात्रों ने आठवीं कक्षा तक तीन भाषाएं पढ़ी होंगी। जो छात्र आठवीं कक्षा में तीसरी भाषा में उत्तीर्ण नहीं हो सके और उन्हें नौवीं कक्षा में पहुंचा दिया गया, उनकी आठवीं कक्षा के लिए तय पाठ्यपुस्तकों और समान पाठ्यक्रम के अनुसार संबंधित स्कूल द्वारा नौवीं कक्षा के अंत में परीक्षा ली जाएगी।
पत्र में कहा गया कि जो नौवीं कक्षा के अंत में भी तीसरी भाषा में पास नहीं हो पाएं उन्हें दसवीं कक्षा में एक और मौका दिया जा सकता है। कोई भी छात्र तीसरी भाषा में पास हुए बगैर दसवीं कक्षा के अंत में बोर्ड परीक्षा में बैठने के योग्य नहीं होगा।
केवीएस के जवाब में सीबीएसई ने कहा कि छात्रों के हित और केवीएस द्वारा पत्र में बताई गई आपात स्थिति को देखते हुए उन्हें सीबीएसई द्वारा तीसरी भाषा में 2014-15 में परीक्षा से छूट मंजूर की जाती है।