बैंकों के नौ हजार करोड़ के कर्जदार विजय माल्या ने नए विवाद में फंसते दिख रहे हैं। इस बार उन पर आरोप लगा है झूठा हलनामा दाखिल करने का। दरअसल, साल 2010 में दूसरी बार राज्य सभा की सदस्यता के लिए दाखिल हलफनामा में विजय माल्या ने कहा था कि उनके पास कोई भी प्रॉपर्टी नहीं है और न ही उन पर कोई कर्ज बकाया है। बैंकों व वित्तीय संस्थानों से लोन से संबंधित कॉलम में उन्होंने NIL लिखा था। छह साल पहले का यह दस्तावेज गुरुवार को फिर से चर्चा में आ गया। विजय माल्‍या इस समय देश से बाहर हैं और विपक्ष केंद्र सरकार पर माल्‍या को देश से बाहर भगाने में मदद का आरोप लगा रहा है। इस मुद्दे पर गुरुवार को संसद में भी बहस हुई। बहस के दौरान वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने आरोप लगाया कि माल्‍या को लोन 2004 और 2008 में दिया गया था, उस वक्‍त कांग्रेस के नेतृत्‍व वाली यूपीए सरकार थी। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब माल्‍या ने कर्ज लिया था तो हलफनामे में दिखाया क्‍यों नहीं?

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शुक्रवार माल्‍या ने एक के बाद एक 6 ट्वीट कर अपनी ओर से पूरे प्रकरण पर सफाई भी पेश की और राज्‍यसभा के लिए दिए हलफनामे को अपने बचाव के तौर पर पेश किया था। माल्या ने लिखा है कि न्यूज रिपोर्ट्स में कहा गया है कि उन्‍हें अपनी संपत्ति घोषित करनी चाहिए। क्या इसके ये मायने हैं कि बैंकों को उनकी संपत्ति के बारे में नहीं पता नहीं या किसी ने उनका संसद में दिया गया हलफनामा नहीं देखा? आपको बता दें कि हलफनामे में माल्या ने कहा था कि उनके या उनकी पत्नी या डिपेंडेंट के पास न तो कोई घर है और न ही उनके नाम कोई प्रॉपर्टी है। उन्होंने लिखा था कि उनके पास 1989 की फरारी कार है, जिसे वह 25 लाख रुपए देकर साल 2000 में भारत लाए थे।

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