सुनील जोशी मर्डर केस में साध्वी प्रज्ञा सिंह को बरी किए जाने के एक हफ्ता बाद अभियोजन (एमपी पुलिस) ने मध्य प्रदेश सरकार को लिखा है कि “रिहाई के खिलाफ अपील करने का कोई आधार नहीं बनता।” हमारे सहयोगी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस को सरकारी वकील गिरीश मुंगी ने बताया, “उनके खिलाफ कोई भी प्रत्यक्ष या परिस्थितिजन्य साक्ष्य नहीं हैं। सारे गवाह भी झूठे निकले। मैंने सरकार को बता दिया है कि अपील करने का कोई आधार नहीं बनता।”
बता दें कि 29 दिसंबर 2007 को आरएसएस प्रचारक सुनील जोशी का शव देवास स्थित ठिकाने के पास मिला था। एक आदिवासी कांग्रेस नेता और उसके बेटे के डबल मर्डर केस में नाम आने के बाद सुनील फरार था। इस साल 1 फरवरी को देवास के प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने साध्वी समेत 7 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया था। कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, हर्षद सोलंकी, वासुदेव परमार, रामचरन पटेल, आनंदराज कटारिया, लोकेश शर्मा, राजेन्द्र चौधरी और जितेंद्र शर्मा सहित सभी आठ आरोपियों को यह कहकर बरी कर दिया है कि इनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं।
इस फैसले के एक दिन बाद जोशी की पत्नी की बहन शैलजा ने साध्वी प्रज्ञा की रिहाई पर सवाल उठाए थे, लेकिन साथ ही संकेत दिए थे कि परिवार को फैसले से कोई खासा फर्क नहीं पड़ेगा। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था, “अभियोजन द्वारा एकत्रित समग्र साक्ष्य के विश्लेषण उपरांत यह प्रकट हुआ है कि हत्या जैसा संवेदनशील एवं गंभीर प्रकरण में मप्र पुलिस और एनआईए दोनों ही एजेंसियों ने पूर्वाग्रह अथवा अज्ञात कारणों से गंभीरतापूर्वक अनुसंधान नहीं करते हुए दुर्बल साक्ष्य एकत्र किए हैं जो अभियुक्तगण के आरोपों में दोषसिद्ध किये जाने हेतु पर्याप्त नहीं होते।”

