सूत्रों ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने लगभग 50 प्रतिशत मेडिकल कॉलेजों को उनके द्वारा निर्धारित मानकों का पालन नहीं करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है। सूत्रों ने बताया कि एनएमसी मानकों का पालन नहीं करने पर भारत के आधे मेडिकल कॉलेज मान्यता खो सकते हैं।

349 मेडिकल कॉलेजों, 197 सरकारी सहायता प्राप्त और प्राइवेट कॉलेजों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। सूत्रों ने कहा, “अगर कॉलेज गलती नहीं सुधारेंगे तो इन कॉलेजों में प्रवेश एक साल के लिए रोक दिया जाएगा।” सूत्रों के मुताबिक, एनएमसी ने उपस्थिति में कमी, टीचर्स की कम संख्या और न्यूनतम मानक आवश्यकताएं पूरा करने में फेल होने पर केरल के इडुक्की में एक मेडिकल कॉलेज को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

कई कॉलेजों में डॉक्टरों की उपस्थिति कम

सूत्रों के अनुसार, कई कॉलेजों में फ़ैकल्टी की संख्या भी कम है, वरिष्ठ रेजिडेंट डॉक्टरों की उपस्थिति भी पर्याप्त नहीं पाई गई। इसके अलावा, न्यूनतम मानक आवश्यकताएं, (MSR) 2023 के तहत कई खामियां मिलीं। दिशा-निर्देशों के अनुसार सभी फ़ैकल्टी और वरिष्ठ रेजिडेंट डॉक्टरों की कम से कम 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है। एनएमसी ने पाया कि सीसीटीवी भी काम नहीं कर रहे हैं।

कई कॉलेज अटेंडेंस की गाइडलाइन को पूरा नहीं करते हैं जो फ़ैकल्टी और वरिष्ठ रेजिडेंट डॉक्टरों के लिए अनिवार्य हैं। एमएसआर 2023 दिशानिर्देशों के खंड 3.2 के अनुसार, सभी फ़ैकल्टी और सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों के लिए कम से कम 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है। सूत्रों ने बताया कि भारत में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग द्वारा निर्धारित मानकों का पालन नहीं करने के कारण पिछले एक से दो महीनों में लगभग 40 मेडिकल कॉलेजों ने मान्यता खो दी है।

2014 के बाद से मेडिकल कॉलेजों की संख्या 387 से बढ़कर 654 हो गई

इससे पहले मई में नियमों का पालन नहीं करने, कम फैकल्टी और सीसीटीवी कैमरों से जुड़ी कई खामियों के आधार पर कार्रवाई की गई थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2014 के बाद से मेडिकल कॉलेजों की संख्या 387 से बढ़कर 654 हो गई है जोकि लगभग दोगुनी है। एमबीबीएस सीटों की संख्या भी बढ़कर 94 प्रतिशत हो गई है।