बीते हफ्ते भाजपा के कुछ बड़े नेताओं ने पाकिस्‍तानी न्‍यूज वेबसाइट डॉन पर चल रहे जेडीयू के विज्ञापन का मुद्दा उछाल दिया। इससे यही लगा कि इन नेताओं को इस बात की जानकारी नहीं है कि गूगल ऐड कैसे काम करते हैं। यही नहीं, राजीव प्रताप रूडी ने ट्वीट कर यह मुद्दा उठा दिया। इसके बाद उनकी काफी आलोचना हुई और उन्‍हें ट्वीट डिलीट करना पड़ा।

तो क्‍या रूडी का यह दावा कि नीतीश कुमार पाकिस्‍तानी वेबसाइट पर बिहार चुनाव का ऐड दे रहे हैं, गलत था?

बिल्‍कुल। ऐड भारत में दिए गए थे, लेकिन वे दुनिया में किसी भी वेबसाइट पर दिखाए जा सकते हैं। सोमवार की शाम दिल्‍ली में न्‍यूयार्कटाइम्‍स की वेबसाइट पर भी वह ऐड दिखाई दे रहा था। इसे ‘गूगल रीमार्केटिंग’ कहते हैं।

तो गूगल रिमार्केटिंग कैसे काम करता है?

गूगल रिमार्केटिंग के तहत आप जिस भी वेबसाइट पर विजिट करते हैं, उस पर आपको एक ही विज्ञापन दिखाया जाता है। मान लीजिए आप भारत की वेबसाइट से पाकिस्‍तान की वेबसाइट पर चले गए। गूगल ने दोनों ही वेबसाइट को ऐड बेचा हुआ है। इसलिए आपको वह ऐड दोनों वेबसाइट पर दिखाई देगा। उदाहरण के लिए, आप फ्लिपकार्ट या किसी और ई-कॉमर्स वेबसाइट पर जाइए। वहां आप जो प्रॉडक्‍ट्स सर्च करते हैं, उससे जुड़े ऐड्स आपको लगभग उन सभी वेबसाइट्स पर दिखाए जाने लगेंगे जिन पर आप विजिट कर रहे हैं। किसी खास आईपी एड्रेस पर यूजर्स जिन वेबसाइट पर विजिट करता है, या जिस प्रॉडक्‍ट के बारे में सर्च करता है, गूगल उसे उसी नेचर की जानकारी या ऐड दिखाने लगता है। इसे ऐड टार्गेटिंग कहते हैं और यह ब्राउजिंग हिस्‍ट्री के आधार पर काम करता है।

पर ऐड टार्गेटिंग की जरूरत ही क्‍या है?

ऐड टार्गेटिंग इसलिए जरूरी है क्‍योंकि इसके जरिए विज्ञापन उन लोगों तक पहुंचाया जाता है जो विज्ञापनदाताओं के लिए मायने रखते हैं। यानी जो प्रॉडक्‍ट या सर्विस खरीद सकते हैं। अगर ऐड टार्गेटिंग अच्‍छे तरीके से की जाए तो इंटरनेट पर विज्ञापन पर क्लिक बढ़ते हैं और क्लिक के शॉपिंग में बदलने की संभावना भी बढ़ती है।

गूगल पर कितने तरह की ऐड टार्गेटिंग होती है?

गूगल पर विज्ञापन देने वालों के पास डेमोग्राफी, लोकेशन या ब्राउजिंग हिस्‍ट्री के आधार पर टार्गेटिंग चुनने की सुविधा होती है। प्‍लेसमेंट टार्गेटिंग का भी विकल्‍प है। इसके तहत विज्ञापनदाता वेब पेज पर किस जगह ऐड दिखे, यह तय करता है। भाषा, टॉपिक के आधार पर भी ऐड टार्गेटिंग होती है।
18 साल या उससे ज्‍यादा उम्र का कोई भी व्‍यक्ति ऐडसेंस अकाउंट खोल सकता है और पार्टनर वेबसाइट पर गूगल द्वारा ऐड डिस्‍प्‍ले करा सकता है। गूगल डिस्‍प्‍ले नेटवर्क हजारों वेबसाइट्स पर आपका ऐड संबंधित कंटेंट या ऑडियंस का ध्‍यान रखते हुए प्‍लेस करता है।

तो क्‍या वेबसाइट्स पर ऐड दिखाने का गूगल ही एक मात्र जरिया है?

नहीं। कई और वेबसाइट्स हैं। पर गूगल की पहुंच सबसे ज्‍यादा है। यहां तक कि गूगल पर सर्च बेस्‍ड एडवर्टाइजिंग की भी सुविधा है। उदाहरण के लिए, अगर कोई गूगल पर ‘बिहार’ सर्च कर रहा है, तो उसे वहां नीतीश कुमार या सुशील मोदी का ऐड दिखवाया जा सकता है। टार्गेटिंग किसी भी कीवर्ड के लिए करवाई जा सकती है। गूगल इसे अपनी भाषा में ‘ऐडवर्ड’ कहती है।