Nitish Katara Murder Case: नीतीश कटारा की हत्या के लिए उम्रकैद की सजा काट रहे सुखदेव पहलवान की याचिका पर सुनवायी करते हुए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सजा की मियाद पूरी करने के कारण उन्हें जेल से रिहा किया जा सकता है। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि जो भी कैदी उम्रकैद की सजा काट रहे हैं और 20 साल जेल में बिता चुके हैं उन्हें रिहा किया जा सकता है। जिन कैदियों को जीवनपर्यंत जेल में रहने की सजा सुनायी गयी है, उनका मामला इससे अलग माना जाना चाहिए।
23 वर्षीय नीतीश कटारा की वर्ष 2002 में गाजियाबाद में प्रेम प्रसंग के चलते हत्या कर दी गयी थी। नीतीश कटारा का उनकी सहपाठी भारती यादव के साथ प्रेम सम्बन्ध था जो भारती के भाई विकास यादव को पसन्द नहीं था। विकास यादव एवं उसके साथियों को नीतीश कटारा की हत्या के लिए दोषी पाया गया था। भारती यादव के पिता डीपी यादव सांसद रह चुके हैं।
आजीवन कारावास की सजा काट रहे जो कैदी जेल में 20 साल रह चुके हैं उन्हें मियाद पूरी करने के बाद भी रिहा न किये जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने चिन्ता जतायी। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे सभी कैदियों को तत्काल रिहा किये जाने का निर्देश दिया।
हर दोषी जेल में मरेगा- सुप्रीम कोर्ट
इस मामले में की सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने सुखदेव पहलवान को जेल में रखने के फैसले पर सवाल उठाए हैं। बेंच ने कहा, “अगर यही रवैया जारी रहा, तो हर दोषी जेल में ही मरेगा।” कोर्ट ने 29 जुलाई को सुखदेव पहलवान की रिहाई का आदेश दिया था लेकिन सजा समीक्षा बोर्ड ने उसके आचरण का हवाला देते हुए उसकी रिहाई पर रोक लगाई थी।
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जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने दिया था रिहाई का आदेश
गौरतलब है कि जुलाई के महीने में सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश कटारा हत्याकांड के मामले सजा काट रहे दोषी सुखदेव यादव को रिहा करने का आदेश दिया था। पहलवान ने मार्च के महीने में 20 साल की सजा पूरी कर ली थी। इस मामले में सजा पुनरीक्षण बोर्ड यानी एसआरबी ने सुखदेव पहलवान की रिहाई याचिका खारिज कर दी थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताई थी।
कोर्ट ने कहा कि एक अदालत द्वारा पारित आदेश को एसआरबी कैसे नजरअंदाज कर सकता है?
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