बिहार का मुज़फ़्फ़रपुर ज़िला ‘चमकी’ बुखार (Acute Encephalitis Syndrome) से सबसे ज्यादा प्रभावित है। बच्चों को अपना शिकार बनाने वाले इस बुखार के बारे में एक बात स्पष्ट है कि इसके कुप्रभाव में अधिकांश वहीं बच्चे हैं, जो कुपोषण की ज़द में हैं। ‘नीति आयोग’ ने देश के सभी राज्यों का ‘स्वास्थ्य सूचकांक’ (हेल्थ इंडेक्स) जारी किया है। इनमें बिहार की हालत काफी ख़राब है। यही नहीं जहां पर इंसेफलाइटिस का क़हर है, वहां पर भी स्थिति कुछ ख़ास ठीक नहीं है। नीति आयोग के मुताबिक मुज़फ़्फ़रपुर का हर पांच में से दूसरा बच्चा अंडरवेट हैं। यानी इसके शरीर का वजन उम्र के हिसाब से काफी कम है। वहीं हर दो में एक बच्चे का कद उसके उम्र के हिसाब से काफी छोटा है।
समूचे बिहार की बात करें तो यहां पर पांच साल से कम उम्र के 48 फीसदी बच्चों का शारीरिक विकास उनके उम्र के मुताबिक़ नहीं है। वहीं, 21 फीसदी का वजन उनकी लंबाई की तुलना में कम है। जबकि, 44 फीसदी बच्चे ऐसे हैं जो अंडरवेट हैं। बिहार के बाद सबसे ज्यादा ख़राब हालत उत्तर प्रदेश की है। उत्तर प्रदेश में भी कुपोषित बच्चों की संख्या काफी ज्यादा है। इसके बाद झारखंड, मेघालय और मध्य प्रदेश हैं। भारत के थिंक टैंक माने जाने वाले ‘नीति आयोग’ ने ‘स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय’ तथा ‘विश्व बैंक’ के साझ साझा कार्यक्रम के तहत सभी राज्यों के स्वास्थ्य हालात की रिपोर्ट तैयार की है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि बिहार में नवजात बच्चों की मौत (शिशु मृत्यु दर) भी काफी ज्यादा है। पिछले साल के मुक़ाबले शिशु मृत्यु दर में कोई कमी नहीं आई है और यह आंकड़ा जस का तस 27 पर ही अटका है। यानी हर 1000 पैदा होने वाले बच्चों में 27 की मौत एक माह के भीतर हो जाती है। जबकि, कम वज़न (2.5किलोग्राम से कम) वाले शिशुओं की संख्या 7.2 फीसदी से बढ़कर 9.2 फीसदी हो चुकी है। ‘इंडियास्पेंड’ के साथ इस मसले पर ‘पोषण’ (POSHAN) नाम के रिसर्च ग्रुप ने मुज़फ़्फ़रपुर में बच्चों के स्वास्थ्य के संदर्भ में वर्तमान स्थिति के बारे में बताया, ” बच्चों में कुपोषण संपूर्ण आहार में कमी और शुरुआती दो वर्षों तक उनकी ठीक से देखभाल नहीं होने की वजह से पनपता है।” ‘द वायर’ ने भी अपने एक रिपोर्ट में बताया है कि मुज़फ़्फ़रपुर में अधिकांश बच्चे मां के गर्भ से ही कुपोषित पैदा होते हैं।
सरकारी स्तर पर गर्भवती माताओं और शिशुओं के लिए कई योजनाएं चलाई जाती हैं। लेकिन, इंडियास्पेंड के मुताबिक ये योजनाएं मुज़फ़्फ़रपुर में ज़मीन तक नहीं पहुंच पाती हैं। मुज़फ़्फ़रपुर ज़िले में 3,801 आंगनवाड़ी केंद्र हैं। लेकिन, तमाम रिपोर्ट बताते हैं कि तमाम पोषण संबंधी खुराकों को वाजिब तौर पर जरूरतमंदों तक नहीं पहुंचाया जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक आंगनवाड़ी संस्थाओं को अभी और कुशल ट्रेनिंग देने की आवश्यक्ता है।