नीति आयोग ने विभाग के अधिकारियों से कहा है कि वे किसी भी मीडिया आउटलेट को आर्टिकल भेजने से पहले वरिष्ठ अधिकारियों के मामले में मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और कनिष्ठ अधिकारियों के मामले में संबंधित सलाहकारों से मंजूरी प्राप्त कर लें।

सरकार के शीर्ष थिंक टैंक ने 12 मई को अपने अधिकारियों से कहा, “यह निर्देश दिया जाता है कि नीति आयोग के अधिकारियों द्वारा लिखे गए सभी लेख, जिसमें वे खुद को नीति आयोग के एक अधिकारी या कर्मचारी बताते हैं, जिन्हें समाचार पत्रों/पत्रिकाओं/समाचार साइटों आदि में छपने के लिए भेजा जाता है, उन्हें संबंधित सलाहकार द्वारा विधिवत अनुमोदित किया जाना चाहिए। वहीं वरिष्ठ सलाहकारों द्वारा लेखों को सीईओ द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए।

आदेश में कहा गया कि सभी लेख केवल कम्युनिकेशंस वर्टिकल के माध्यम से प्रकाशन के लिए भेजे जाएंगे। कम्युनिकेशंस वर्टिकल इस पर अंतिम फैसला करेगा कि क्या आपका आर्टिकल प्रकाशन के लिए न्यूनतम स्वीकार्य गुणवत्ता मानकों को पूरा करता है या नहीं।

इंडियन एक्सप्रेस से नीति आयोग के आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा, “नीति आयोग एक सरकारी थिंक टैंक है और समय-समय पर सामान्य सलाह जारी करता है, जो लेख प्रकाशित करते समय उचित परिश्रम को प्रोत्साहित करती है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि द इंडियन एक्सप्रेस रूटीन एडवाइजरी की गलत व्याख्या कर रहा है। नीति आयोग ने सरकार के नियमों को ध्यान में रखते हुए अपने कर्मचारियों को लगातार सोचने और रचनात्मक रूप से खुद को अभिव्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित किया है।”

हालांकि नीति आयोग के प्रवक्ता ने उन तारीखों का उल्लेख नहीं किया,जिन तारीखों पर इस तरह की सलाह जारी की गई थी। इंडियन एक्सप्रेस के सूत्रों के मुताबिक हाल के दिनों में ऐसा कोई पत्र जारी नहीं किया गया था।

एक थिंक टैंक के रूप में नीति आयोग की भूमिका को देखते हुए यह निर्णय महत्वपूर्ण है। नीति आयोग में लगभग एक दर्जन सलाहकार हैं, जो विभिन्न कार्यक्षेत्रों के प्रमुख के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। वे सलाहकार, वरिष्ठ सलाहकार, संयुक्त सचिव और अतिरिक्त सचिव के पद पर कार्यरत हैं। इसके अलावा कई और शीर्ष पदों पर हैं।