रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) ने बुधवार को 2,700 करोड़ रूपये मूल्य के रक्षा उपकरणों की खरीद को मंजूरी दे दी है। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में परिषद की एक बैठक में यह स्वीकारोक्ति दी गई। डीएसी रक्षा उपकरणों की खरीद से संबंधित सर्वोच्च निकाय है। इसके तहत भारतीय नौसेना के लिए तीन कैडेट प्रशिक्षण पोतों की खरीद का अनुमोदन किया गया है। ये प्रशिक्षण प्राप्त कर रही महिला अधिकारियों सहित कैडेट अधिकारियों की ट्रेनिंग के लिए प्रयोग होंगे। ये पोत चिकित्सा सेवा, मानवीय सहायता और आपदा राहत मुहैया कराने में सक्षम हैं। इसके अलावा इनसे राहत और खोज अभियान चलाया जा सकता है।

बता दें कि लंबे समय से राफेल डील पर भी विवाद चल रहा है। बीते सप्ताह ही लड़ाकू विमान निर्माता कंपनी स सॉल्ट एविऐशन ने कहा था कि भारतीय वायु सेना के लिए 110 विमानों की आपूर्ति की दौड़ में वह भी शामिल है और इसमें किसी तरह की गड़बड़ी नहीं है। कंपनी ने राफेल सौदे को लेकर बयान दिया था कि इसमें किसी तरह का कोई घोटाला नहीं हुआ है। कंपनी ने कहा था कि भारत सरकार ने पिछले साल एक आरएफआई (शुरूआती निविदा) जारी किया था। सौदे के लिए सूचना के लिए अनुरोध (आरएफआई) या शुरूआती निविदा छह अप्रैल 2018 को जारी की गई थी। यह लड़ाकू विमानों की पहली बड़ी खरीद पहल थी। लगभग छह साल पहले 126 ‘मीडियम मल्टी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट’ (एमएमआरसीए) खरीदने की प्रक्रिया सरकार द्वारा रद्द करने के बाद यह कदम उठाया गया था।

गौरतलब है कि राजग सरकार ने 36 राफेल दोहरे इंजन वाले लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए सितंबर 2016 में फ्रांस सरकार के साथ 7. 87 अरब यूरो (करीब 59,000 करोड़ रूपये) के एक सौदे पर हस्ताक्षर किए थे। भारत सरकार द सॉल्ट से 36 विमानों की आपूर्ति करने जा रही है। राफेल सौदे को लेकर राहुल गांधी ने मोदी सरकार को खूब घेरा। अब देखना यह होगा कि आगामी सौदे को लेकर कहीं सरकार फिर से विपक्ष के निशाने पर न आ आए।