लोकसभा में सोमवार को ‘अवसंरचना एवं विकास के वित्त-पोषण के लिए राष्ट्रीय बैंक (एनएबीएफआईडी) विधेयक-2021’ पेश किया गया। इसके तहत देश में विकास वित्त संस्थान के गठन का प्रस्ताव किया गया है जिससे बुनियादी ढांचा विकास की परियोजनाओं के लिए दीर्घकालिक कर्ज देने वाले वित्तीय संस्थान की कमी दूर की जा सके।

निचले सदन में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ‘अवसंरचना एवं विकास के वित्त-पोषण के लिए राष्ट्रीय बैंक (एनएबीएफआईडी) विधेयक-2021’ पेश किया। गौरतलब है कि इस प्रकार के विकास वित्तीय संस्थान की स्थापना की घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बार के बजट भाषण में की थी। मंत्रिमंडल ने हाल ही में इस विधेयक के मसौदे को मंजूरी दी। इस संस्थान द्वारा निवेशकों से धन जुटाने के संबंध में कर छूट प्रदान करने का प्रावधान भी प्रस्तावित है।

सरकार ने इस विकास वित्त संस्थान के लिए शुरूआत में 20,000 करोड़ रुपये पूंजी डालने का निर्णय लिया है। सरकार 5,000 करोड़ रूपये का प्रारंभिक अनुदान देगी। सरकार को उम्मीद है कि यह संस्थान कुछ वर्षों में कम से कम तीन लाख करोड़ रुपये की पूंजी जुटाएगा।

सरकार ने राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा विकास के लिए सात हजार परियोजनाओं की श्रृंखला तैयार की है। सरकार का लक्ष्य 2024-25 तक बुनियादी ढांचा विकास पर 110 लाख करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य है। वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) की सांसद सुप्रिया सुले ने इस विधेयक पर सवाल खड़े किए हैं।

सुले ने कहा कि यह बिल जब मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार लेकर आई थी तब सुषमा स्वराज-अरुण जेटली ने इस पर आपत्ति जताई थी। मैं वित्त मंत्री और मोदी सरकार से पूछती हूं कि उन्होंने क्या बदलाव किया क्योंकि जब चिदंबरम ने इसे लाया था, तो आपने इसके खिलाफ आवाज़ उठाई थी।

(भाषा इनपुट के साथ)